झारखंड के जामताड़ा में बीते रात एक बड़ा ट्रेन हादसा हो गया. जिसके बाद मौके पर अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया. देखते ही देखते चीख-पुकार मच गई. इस हादसे में 12 लोग ट्रेन की चपेट में आ गए. जिसमें दो लोगों की मौत हो गई है. यह घटना जामताड़ा और विद्यासागर स्टेशन के बीच करमाटांड के कालाझरिया के पास की है. जामताड़ा के उपायुक्त के मुताबिक, 'जामताड़ा के कालाझरिया रेलवे स्टेशन पर ट्रेन कई यात्रियों के ऊपर से निकल गई. कुछ मौतों की सूचना मिली है. हालांकि, मौतों की सही संख्या की पुष्टि बाद में की जाएगी. आनन-फानन में मेडिकल टीमें और एम्बुलेंस मौके पर पहुंची'.
बताया जा रहा है कि, डाउन लाइन में भागलपुर-यशवंतपुर एक्सप्रेस से यह घटना हुई है. घटना से पहले लाइन के किनारे डाली गई गिट्टी का डस्ट उड़ रहा था. हालांकि, चालक को डस्ट को देखकर अंदेशा हुआ कि ट्रेन में आग लग गई है और धुंआ निकल रहा है. इस वजह से ट्रेन को रोकते ही यात्री भी ट्रेन से कूदने लगे. जब लोग ट्रेन से छलांग लगा रहे थे तभी उसी वक्त झाझा-आसनसोल ट्रेन दूसरी लाइन पर आ गई. जिसकी चपेट में कई लोग आ गये. इस दर्दनाक हादसे के बाद घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई. लोग इधर-उधर भागने लगे.
इधर, जामताड़ा ट्रेन हादसे पर जामताड़ा के एसडीएम अनंत कुमार का कहना है कि, "दो शव बरामद किए गए हैं. हमने रेलवे से एक हेल्पलाइन नंबर शुरू करने का अनुरोध किया है. जांच के बाद कारण पता चलेगा." वहीं, इस घटना को लेकर बीजेपी एमपी निशिकांत दूबे ने दावा किया है कि पूरी घटना रेलवे को बदनाम करने की साजिश है. ये घटना ट्रेन के कारण नहीं हुआ है, बल्कि दो लोग ट्रैक पार कर रहे थे, उसकी वजह से हादसा हुआ है. निशिकांत दुबे ने कहा कि, पहली ट्रेन घटना स्थल से 262 किलोमीटर की दूरी पर रूकी हुई है, दूसरी ट्रेन जिसके कारण दो लोग कटे हैं, वो 264 किलोमीटर पर रुकी है. दोनों ट्रेन के बीच दो किलोमीटर का फासला है. ये केवल अफवाह है.
सांसद का कहना है कि, ये अफवाह रेलवे को बदनाम करने की है. ये अफवाह सिर्फ भारत सरकार को बदनाम करने की है. ऐसे अफवाह से लोगों को दूर रहना चाहिये. उन्होंने कहा कि, घटना में जो लोग हताहत हुए हैं, उसके प्रति सहानुभूति है. जो भी भी उन लोगों के लिए रेलवे के नियमों के अनुरूप मुआवजे का प्रावधान होगा, वो उन्हें दिलाया जायेगा. लेकिन, इसमें रेलवे की कोई गलती नहीं है. हालांकि, इस हादसे के बाद लगातार बचाव अभियान जारी है.