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आरक्षण विरोधी नहीं, बल्कि संरक्षण के मोदी सरकार: मंगल पांडे

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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने  लेटरल एंट्री के जरिए 45 वरिष्ठ पदों पर सीधी बहाली के लिए यूपीएससी द्वारा निकले गए विज्ञापन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद वापस लेने को बड़ा कदम बताया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार आरक्षण का विरोधी नहीं बल्कि संरक्षक है। पीएम की इस पहल से आरक्षण को लेकर दुष्प्रचार का विपक्ष का मंसूबा एक बार फिर ध्वस्त हुआ है।श्री पाण्डेय ने कहा है कि लेटरल एंट्री के जरिए जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर जैसे बड़े सरकारी पद विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट लोगो की सीधी बहाली कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार का कंसेप्ट थी।1976 में मनमोहन सिंह भी लेटरल एंट्री के जरिए ही फाइनेंस सेक्रेटरी बने थे। इतना ही नहीं सोनिया गांधी को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल का प्रमुख लेटरल एंट्री के जरिए ही बनाया गया था।उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा ही 2005 में गठित प्रशासनिक सुधार कमेटी ने सरकार को सुझाव दिया था कि सरकारी विभाग में बड़े पदों पर बैठने वाले अधिकारियों को उस क्षेत्र का एक्सपर्ट होना जरूरी है। इसलिए पारंपरिक सिविल सेवाओं के जरिए भर्ती के बजाय कुछ सीनियर पदों पर उस क्षेत्र के विशेषज्ञों को भर्ती करना चाहिए। श्री पाण्डेय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेटरल एंट्री जैसे संवेदनशील मुद्दों पर तत्काल पहल करते हुए विज्ञापन को वापस करवा कर यह भी निर्देश दिया है कि संविधान प्रदत्त आरक्षण की व्यवस्था हर तरह की सरकारी नियुक्तियों में जरूर लागू किया जाय। प्रधानमंत्री के इस कदम से एससी, एसटी और ओबीसी के हितों की जहां रक्षा होगी, वहीं यह भी स्पष्ट हो गया है कि मोदी के रहते आरक्षण से कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता है।

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