मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न घुमाए जाने वाले शर्मनाक वीडियो के वायरल होने के बाद विवाद गहराता जा रहा है. वीडियो मणिपुर के कंगपोकपी जिले का बताया जा रहा है जहां 4 मई को भीड़ ने महिलाओं को नग्न करके घुमाया. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ दिख रहा है कि भीड़ दो महिलाओं को पकड़कर खेत के पास से लेकर जाती है. मामले में दर्ज एफआईआर में एक महिला के साथ गैंगरेप का आरोप भी लगाया गया है. असल में इस पूरी वारदात को सोशल मीडिया पर एक फेक न्यूज वायरल होने के बाद अंजाम दिया गया. 26 सेकंड के इस वीडियो के सामने आने के बाद राष्ट्रव्यापी रोष पैदा हो गया है. मामले में अभी तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
मणिपुर की दो महिलाओं को 4 मई को नग्न अवस्था में घुमाते और भीड़ द्वारा उनके साथ छेड़छाड़ किए जाने का भयानक वीडियो वायरल होने के 24 घंटे के भीतर, चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गयाऔर इसमें शामिल कुछ लोगों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि वे अब तक वीडियो में एक दर्जन से अधिक लोगों की पहचान कर चुके हैं.
पुलिस के मुताबिक, दिल्ली में रेप की खबर को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से 'मणिपुर में रेप की वारदात' बताकर फैलाई गई. गैंगरेप की फेक न्यूज ने भीड़ को उकसाया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के गैंगरेप की फोटो वायरल होने के बाद ही मणिपुर में भीड़ ने महिलाओं के साथ दरिंदगी की. सोशल मीडिया पर प्लास्टिक शीट में लिपटी एक महिला की फोटो वायरल हो रही थी, जिसमें दावा किया गया था कि यह मणिपुर की महिला है और उसके साथ रेप किया गया है. हालांकि बाद में जांच के दौरान पता चला कि ये फोटो मणिपुर का नहीं बल्कि दिल्ली का है.
क्या है पूरा मामला?
मालूम हो कि मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना का वीडियो बुधवार (19 जुलाई) को सोशल मीडिया पर उस दौरान सामने आया, जब मणिपुर में पुरुषों के एक समूह की ओर से दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया जा रहा था. वीडियो में दिखाई दे रहा है कि पुरुष महिलाओं के साथ लगातार छेड़छाड़ कर रहे हैं. इतना ही नहीं महिलाएं मदद के लिए भीख मांग रही हैं और रो रही हैं. महिलाएं उनसे मिन्नतें कर रही हैं कि उन्हें छोड़ दीजिए.
शिकायत के आधार पर पुलिस ने 18 मई को सैकुल पुलिस थाने में जीरो एफआईआर दर्ज की थी. सैकुल पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ रेप और हत्या समेत अन्य आरोप लगाए गए हैं. पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक, घटना 4 मई की दोपहर को हुई थी.
मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. कानून के द्वारा पूरी सख्ती से कदम उठाने की बात कहे जाने के कुछ ही घंटे बाद राज्य के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने कहा कि पुलिस ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है. वहीं, प्रधान न्यायाधीश ने भी चेतावनी दी कि यदि जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ तो उच्चतम न्यायालय कार्रवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने गहरा दुख जताते हुए इस घटना को ‘शर्मनाक' और ‘अस्वीकार्य' करार दिया.
गौरतलब है कि राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर मेइती समुदाय द्वारा पहाड़ी जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च' (आदिवासी एकजुटता मार्च) वाले दिन मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई थी और अभी तक इसमें 150 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. मणिपुर में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं.