दो महीने से ज्यादा समय से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर में हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं. हाल ही में मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न घुमाने और यौन उत्पीड़न करने का वीडियो वायरल होने के बाद से स्थिति और बिगड़ती नजर आ रही है. इस बीच मानसून सत्र से पहले गुरुवार (20 जुलाई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
वहीं, विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों में मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी के जवाब की मांग करते हुए जमकर हंगामा काटा. मानसून सत्र के दूसरे दिन यानी आज (21 जुलाई) भी संसद में मणिपुर हिंसा को लेकर हंगामा होने की संभावना है. हालांकि, केंद्र सरकार ने इस मामले पर जवाब देने की बात कही है. एबीपी न्यूज़ के नए शो पब्लिक इंटरेस्ट में बताया गया कि मणिपुर में हिंसा को रोकने के लिए सरकारों ने अब तक क्या किया?
केंद्र और राज्य सरकारों ने अब तक उठाए ये कदम:
केंद्र सरकार ने मणिपुर में भड़के जातीय संघर्ष को रोकने के लिए भारतीय सेना को भेजा.
मणिपुर में केंद्र सरकार ने हालात पर काबू पाने के लिए 40 आईपीएस अफसरों को भेजा है.
मणिपुर हिंसा से प्रभावित लोगों की मदद और इलाज के लिए केंद्र सरकार की ओर से 20 मेडिकल टीमें भी भेजी हैं.
केंद्र सरकार ने मणिपुर में हिंसाग्रस्त इलाकों से लोगों को निकालने के लिए वायुसेना की भी मदद ली गई.
मणिपुर के हिंसाग्रस्त जिलों के कई इलाकों में कर्फ्यू अभी भी जारी है. वहीं, कई इलाकों में हालात सामान्य होने के साथ कर्फ्यू में ढील भी दे दी गई है.
अफवाहों और फेक न्यूज के जरिए हिंसा फैलाने की कोशिशों को रोकने के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया गया है.
केंद्र सरकार की ओर से हिंसा करने वाले उपद्रवियों गोली मारने के आदेश भी जारी किए गए हैं.
केंद्र सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा भी किया था. उन्होंने हिंसा में शामिल लोगों से हथियार डालने की अपील भी की.
सरकारों की ओर से की गई इस अपील का काफी हद तक असर भी दिखा. काफी संख्या में लूटे गए हथियारों को लोगों ने वापस भी कर दिया.