राजनीति में कोई कसम नहीं होती है, ये हम नहीं कह रहे हैं ये कहना है हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा(HAM) के संरक्षक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का. राजगीर के कन्वेंशन हॉल में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय परिषद को संबोधित करते हुए मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमारे साथ अच्छा नहीं किया है. तो मांझी जी के इस बयान का क्या मतलब निकाला जाए. क्या मांझी जी अपनी कसम तोड़ सकते हैं ? क्या मांझी जी की पार्टी महागठबंधन से अलग हो जाएगी ? क्या मांझी जी का मन बदल रहा है ? जानते हैं इस रिपोर्ट में.
जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दुखी हैं. राजगीर में पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक हुई. बैठक को संबोधित करते हुए जीतन राम मांझी ने बड़ा बयान दे दिया, जिससे महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती है. उन्होंने कहा, 'हम नीतीश कुमार के साथ हैं. उनके साथ रहने के लिए हमने कसम खाई है, लेकिन राजनीति में कसम नहीं होती. नीतीश कुमार ने हम लोगों के साथ थोड़ा सा कमी किया है. पहले हमारे पास दो विभाग थे, इसमें कटौती कर एक विभाग रखने का काम किया गया. हम यह मांग करेंगे कि हमारा विभाग हमें लौटा दिया जाए. इतना ही नहीं मांझी जी ने एक बार फिर महागठबंधन में कोओर्डिनेशन कमिटी बनाए जाने की मांग की है. मांझी जी ने शिक्षकों की नियुक्ति बीपीएससी के माध्यम से कराने के फैसले को भी गलत बताया. मांझी जी साथ ही साथ नीतीश कुमार पर एक बड़ा आरोप लगा दिया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कहते हैं कि सबसे राय लेकर हमने यह फैसला लिया है. मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार यह बात गलत कह रहे हैं. मांझी जी का इस तरह से नीतीश के विरोध में बयान देना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी वो कई बयान दे चुके हैं. शराबबंदी के विरोध में वो बोल चुके हैं, अपने बेटे को मुख्यमंत्री का कैंडिडेट बता चुके हैं और भी कई बार. लेकिन इस बार जो मांझी ने बयान दिया है, इससे ये तो तय हो गया है कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक तो नहीं है. तो क्या आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मांझी जी कोंई संकेत दे रहे हैं ? क्या मांझी जी पाला बदल सकते हैं ? हो सकता है क्योंकि राजनीति में कोई कसम नहीं होती है.