Join Us On WhatsApp
BISTRO57

JDU कार्यकारिणी के कई फैसले BJP और मोदी सरकार को असहज करने वाले, जानें कैसे..

Many decisions of JDU executive are an attempt to put pressu

Desk- भाजपा के सीनियर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने 2 दिन पहले ही कहा था कि अब बिहार में बीजेपी को अपने दम पर बहुमत लाने के लिए प्रयास करना चाहिए और बीजेपी के नेतृत्व में ही सरकार बननी चाहिए, उनके इस बयान से जदयू के नेता कहीं-कहीं और असहज महसूस कर रहे थे और अश्वनी चौबे के बयान के दो दिन बाद ही जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चार ऐसे प्रस्ताव पारित किए गए हैं, जिसका संबंध कहीं ना कहीं भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार से है और इन चारों प्रस्तावों  को पूरा करना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर के समान है.

 बताते चलें कि जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पहली सबसे बड़ा फैसला संजय झा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना है.

 इसके साथ ही इस कार्यकारिणी की बैठक में जेडीयू ने एक बार फिर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा अथवा विशेष सहायता की मांग की है, यह मांग केंद्र सरकार से की गई है जिसे पूरा करना मोदी सरकार के लिए एक तरह से नामुमकिन है क्योंकि इस मांग को बीजेपी और केंद्र सरकार पहले ही खारिज कर चुकी है. जदयू की तरफ से तीसरा  अहम प्रस्ताव जातीय गणना के बाद बिहार में आरक्षण का दायरा को बढ़ाने को लेकर किया गया है, जिसमें बढ़े हुए आरक्षण को केंद्र सरकार से नवमी अनुसूची में डालने की मांग की गई है, ताकि कोर्ट इसमें हस्तक्षेप  नहीं कर सके. इसकी मांग मुख्य विपक्षी आरजेडी भी काफी दिनों से कर रही है तो क्या अभी केंद्र की मोदी सरकार जदयू के इस प्रस्ताव पर मोहर लगाएगी यह बड़ा सवाल है.

 इसके साथ ही एक अन्य प्रस्ताव झारखंड में जदयू के चुनाव लड़ने का है इसमें जेडीयू ने एनडीए गठबंधन के तहत भाजपा से सीट मांगी है और इसको लेकर आगे चर्चा करेगी, तो क्या झारखंड में अब बीजेपी आजसू के साथ ही जदयू को भी अपने कोटे की सीट विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए देगी.

 जदयू का यह प्रस्ताव कहीं-कहीं भाजपा पर एक दबाव बनाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है, अब देखना है कि इस प्रस्ताव पर बीजेपी और केंद्र की मोदी सरकार क्या रुख अपनाती है.

bistro 57

Scan and join

darsh news whats app qr
Join Us On WhatsApp