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20 मार्च का दिन बेहद खास, क्या राजभवन के बुलावे पर केके पाठक जायेंगे बैठक में ?

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अब बारी शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक की आ गई है. क्या राजभवन के बुलावे पर केके पाठक बैठक में शामिल होंगे ? केके पाठक के गतिविधियों पर टिकी हुई है सभी की निगाहें. आपको याद दिला दें कि, बिहार में संवैधानिक पद पर बैठे राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने 20 मार्च को बैठक बुलाई है. जिसमें केके पाठक को भी शामिल होने के लिए आग्रह किया गया है. जिसको लेकर ही बड़ा सवाल उठ रहा है कि, क्या केके पाठक इस बैठक में शामिल होंगे या फिर नहीं ? वहीं, आखिर ये सवाल क्यों उठ रहे हैं, उसके बारे में भी हम आपको विस्तार रुप से बता देते हैं. 

क्यों उठ रहे हैं सवाल ?

दरअसल, पिछले कुछ दिनों की गतिविधियों पर नजर डालें तो, राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच खूब तनातनी देखने के लिए मिली. दोनों के बीच छिड़ा विवाद तो थमने का नाम ही नहीं ले रहा था. साफ तौर पर पिछले दिनों देखा गया कि, एसीएस केके पाठक वीसी, प्रो वीसी और विश्वविद्यालयों के अन्य पदाधिकारियों की लगातार बैठकें बुलाते रहे हैं. लेकिन, राजभवन उनकी बैठकों में शामिल होने से विश्वविद्यालय अधिकारियों को मना करता रहा है. केके पाठक की बुलाई तीन बैठकों में कोई नहीं पहुंचा. लेकिन इसके बावजूद केके पाठक ने हार नहीं मानी. फिर, उन्होंने चौथी बार बैठक बुलाई है. इस बैठक में भी शायद ही कोई शामिल हो. इसलिए कि राज्यपाल ने विश्वविद्यालय अधिकारियों को केके पाठक की बुलाई किसी बैठक में जाने से मना कर दिया है. नाराज होकर अपर मुख्य सचिव ने दूसरी बार इन अधिकारियों के वेतन पर रोक लगा दी है. एक बार तो पाठक ने विश्विद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर भी रोक लगा दी थी. एफआईआर तक का आदेश दे दिया था. हालांकि, बाद में उसे वापस ले लिया.

विश्वविद्यालयों की व्यवस्था को पटरी पर लाना चाहते हैं एसीएस

बता दें कि, केके पाठक ने शिक्षा विभाग की कमान जब से संभाली है तब से लगातार वह फुल ऑन एक्टिव मोड में दिख रहे हैं. बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने या फिर यूं कहे कि पटरी पर लाने के लिए हर प्रयास करते हुए देखे जा रहे हैं. उनके फरमानों का सिलसिला तो थमने का नाम नहीं ले रहा. कई बार वे खुद ही स्कूलों का निरीक्षण करते हुए देखे जाते हैं. ऐसे में केके पाठक विश्वविद्यालयों में भी शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ करने की ठान ली है. विश्वविद्यालयों के छात्रों की ओर से यह शिकायत आ रही थी कि, समय पर परीक्षाएं नहीं होतीं. इससे छात्रों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने और नौकरी के लिए चयनित होकर भी छात्र परीक्षा फल समय पर नहीं मिलने के कारण अवसर से वंचित हो जाते हैं. समय पर परीक्षाएं हों और परिणाम जारी हो जाएं, इसी संदर्भ में केके पाठक विश्वविद्यालयों के वीसी, प्रो वीसी और परीक्षा नियंत्रकों के साथ बैठक करना चाहते हैं. वे इसके लिए कैलेंडर बनाना चाहते हैं, ताकि सब कुछ समय पर सुनिश्चित किया जा सके.

20 मार्च को होगी अहम बैठक 

लेकिन, इधर राजभवन का कहना है कि विश्वविद्यालय अधिनियम के मुताबिक विश्वविद्यालयों के अधिकारियों की बैठक बुलाने का अधिकार सिर्फ राज्यपाल को है. संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राज्यपाल विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं. प्रशानिक महकमे का कोई अधिकारी इनकी बैठक नहीं बुला सकता. ऐसे में राजभवन वीसी और अन्य विश्वविद्यालय के अधिकारियों को बैठक में जाने से मना करता रहा है. अपर मुख्य सचिव ने तीन बार बैठक बुलाई, लेकिन राज्यपाल की मनाही के बाद बैठक में कोई शामिल नहीं हुआ. पहली बैठक 28 फरवरी को बुलाई गई थी. दूसरी बार नौ मार्च और तीसरी बार 15 मार्च को केके पाठक ने बैठक बुलाई. हालांकि, बैठक में कोई नहीं पहुंचा. कुलपतियों ने इसे लेकर राजभवन से सलाह मांगी तो वहां से उन्हें बैठक में जाने से साफ मना कर दिया गया. इसके बाद भी चौथी बार केके पाठक ने बैठक बुलाई. लेकिन, इससे पहले ही राजभवन ने 20 मार्च को सभी कुलपतियों की बैठक बुला ली. 

क्या निकल पायेगा कोई समाधान ?

राजभवन और केके पाठक के बीच तनातनी इतनी बढ़ी कि तत्कालीन शिक्षा मंत्री विजय चौधरी और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को हस्तक्षेप करना पड़ा. वे राजभवन गए. फिर बैठक हुई. उसके बाद वेतन भुगतान से रोक हटाई गई. अब तो कुलाधिपति के नाते राज्यपाल ने ही 20 मार्च को बैठक बुला ली है. साथ ही इसमें खास बात यह है कि वीसी के अलावा बैठक में अपर मुख्य सचिव को भी हाजिर रहने के लिए कहा गया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि, केके पाठक राजभवन की ओर से बुलाई बैठक में शामिल होते हैं कि नहीं ? दरअसल, राजभवन विश्विद्यालय अधिनियम के तहत विश्वविद्यालयों के कार्यों में दूसरे किसी की दखल नहीं चाहता है. केके पाठक प्रशासी अधिकारी के नाते बैठक बुलाना अपना अधिकार मानते हैं. वहीं, इस बैठक को लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि, बैठक में समस्या का कोई समाधान निकल आए. इधर, राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच तनातनी को देखते हुए अब हर किसी की निगाहें 20 मार्च को होने वाली बैठक पर टिकी हुई है. 

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