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8 मार्च का दिन महिलाओं के लिए बेहद खास, जानिए उनके महत्वपूर्ण 8 अधिकार

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दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है. ये खास दिन पिछले लगभग एक सदी से मनाया जा रहा है. इस दिन को दुनिया भर की महिलाओं के अधिकारों और उपलब्धियों के सम्मान के रूप में याद किया जाता है. शायद आपको पता ना हो लेकिन, महिला दिवस को मनाने का श्रेय यूरोप और अमेरिका की आंदोलनजीवी महिलाओं को जाता है. ये आंदोलन लगभग 116 साल पहले साल 1908 में किया गया था. दरअसल, न्यूयॉर्क शहर में हजारों की संख्या में महिलाओं ने अपनी मांगों को लेकर परेड निकाली थी. इस आंदोलन में ये महिलाएं महिलाओं के काम के घंटों में कमी, काम करने पर अच्छी सैलेरी और वोट डालने के अधिकार की मांग कर रही थी. बाद में सोशलिस्ट पार्टी द्वारा इस दिन को महिला दिवस मनाने का ऐलान किया गया. फिर इसके बाद यूरोप की महिलाओं ने भी बाद में 8 मार्च को रैलियां निकाली. इसके बाद साल 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने 08 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने के लिए मान्यता दी.

अब इस खास दिन पर हम आपको महिलाओं के खास 8 अधिकार के बारे में भी बता देते हैं...

* समान वेतन - इस कानून के अनुसार महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन का अधिकार है. बता दें कि, भारतीय संविधान यह सुनिश्चित करता है कि लिंग के आधार पर वेतन, पारिश्रमिक या मजदूरी के मामले में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

* महिला की उपस्थिति में किया जाना चाहिए चिकित्सीय परीक्षण - भारतीय संविधान के अनुसार, यदि किसी महिला पर किसी आपराधिक अपराध का आरोप लगाया जाता है, तो उसकी मेडिकल जांच किसी अन्य महिला द्वारा या उसकी उपस्थिति में की जानी चाहिए, ताकि किसी भी स्थिति में महिला की गरिमा के अधिकार का उल्लंघन न हो सके. बता दें कि, यह प्रावधान महिलाओं की निजता की रक्षा करता है और कानूनी कार्यवाही में सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करता है.

* कार्यस्थल में महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम - यह अधिनियम महिलाओं को कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार देता है. बता दें कि, यह अधिनियम शिकायतों के निवारण के लिए आंतरिक शिकायत समितियों की स्थापना की भी वकालत करता है, जो महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल बना सकती है.

* भारत के संविधान का अनुच्छेद 498 - यह धारा महिलाओं को मौखिक, वित्तीय, भावनात्मक और यौन शोषण सहित घरेलू हिंसा से बचाती है. साथ ही, अगर पीड़ित महिलाएं इस धारा के तहत शिकायत दर्ज कराती हैं, तो अपराधियों को गैर-जमानती कारावास का सामना करना पड़ सकता है.

* यौन अपराध पीड़ितों के लिए - यौन अपराधों की शिकार महिलाओं की गोपनीयता और गरिमा की रक्षा के लिए, महिलाओं को अकेले जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष या महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में अपना बयान दर्ज कराने का अधिकार है.

* निःशुल्क कानूनी सहायता - कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत, बलात्कार पीड़िताएं मुफ्त कानूनी सहायता की हकदार हैं. यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि महिला पीड़ितों को इस कठिन समय के दौरान पर्याप्त और मुफ्त कानूनी सहायता मिल सके, ताकि उन्हें न्याय पाने में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.

* गिरफ़्तारी से सम्बंधित - असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर महिलाओं को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. ऐसा प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के आदेश से भी किया जा सकता है. क्योंकि कानून कहता है कि पुलिस किसी महिला आरोपी से केवल महिला कांस्टेबल और परिवार के सदस्यों या दोस्तों की मौजूदगी में ही पूछताछ कर सकती है.

* आईपीसी की धारा 354डी - यह उन व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है जो व्यक्तिगत बातचीत या इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के माध्यम से बार-बार महिलाओं का पीछा करते हैं. यह प्रावधान पीछा करने के अपराध को संबोधित करता है और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है.

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