Daesh NewsDarshAd

Bettiyah के आईआईटीयन किसान से मिलिए, देश-विदेश में काम करने का ऑफर ठुकरा कर रहे खेती

News Image

कहा जाता है कि भारत की आत्मा गावों में बसती है. जहां किसान भूखे रहकर भी अपने खेतों में फसल लगाने का हर वह काम करते हैं जिससे उनका फसल स्वस्थ और अधिक हो. आज हम वैसे ही एक आईआईटीयन किसान विवेक प्रियदर्शी हैं जो दिल्ली से आईआईटी की डिग्री लेकर शुरुआती दौर में अच्छे-अच्छे कंपनियों में काम का अनुभव प्राप्त करने के बाद विदेश में काम करने के लिए अच्छे पैकेज को ठुकराकर अपने राज्य और जिला के लिए कुछ करने की योजना बनाकर अपने गांव नरकटियागंज प्रखंड के छोटे से गांव बड़निहार में आए और एक किसान की भांती अपने खेतों में जैविक खाद द्वारा फसल लगाने का काम शुरू किया. 

विवेक बताते हैं कि, हम अपने खेतों में रासायनिक खाद नहीं देते है बल्कि पूरी तरह से जैविक खाद का उपयोग कर स्वस्थ फसल उगाते हैं. इसके लिए वह अपने यहां गाय खुले में छोड़े गए बैल को अपने मवेशी खाना में लाकर पालने का काम किया. जिससे उन्हें दूध तो मिलता ही है साथ ही उनके गोबर से वह पहले गोबर गैस बनाने का काम कराते हैं और उसके बाद वह बचे गोबर से ऑर्गेनिक खाद कहे या जैविक खाद बनाकर अपने खेतों में लिक्विड खाद डालकर फसल उगाने का काम करते हैं. इस संबंध में उन्होंने यह भी बताया कि, प्रधानमंत्री का सपना भी है कि कम लागत में किसान कैसे अधिक मुनाफा कमा सके इसके लिए किसान को ऑर्गेनिक खाद या नई जैविक खाद से खेती करने पर लागत कम और अधिक मुनाफा किसान ले सकेगा. इसके लिए पशुधन का भी बढ़ावा होगा, तभी अधिक मात्रा में जैविक खाद किसान बना सकेगा. जैविक खाद से खेती करने पर एक तो स्वास्थ फसल का उत्पादन तो होगा ही साथ-साथ हम मानव भी स्वस्थ रह सकेंगे. जैविक खाद की उपलबद्धता बढ़ने पर जो यूरिया की किल्लत और अन्य रासायनिक खादों की किल्लत का सामना जो किसान कराते हैं, वह नहीं करना पड़ेगा.

वहीं, इस संबंध में किसान विजय पाण्डेय उर्फ आलू पाण्डेय ने बताया कि, प्रधानमंत्री का सपना कम लागत में अधिक मुनाफा किसान कैसे लें, इसके लिए सरकार को खेती-बारी पर ध्यान देना होगा और यह तभी संभव है जब हमारे किसान जैविक खेती करे. जैविक खेती करने के लिए पशुधन को बढ़ावा देना होगा. आज हमारे यहां अब बहुत किसान जैविक खेती कर कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. जैविक खेती से उपजे फसल का जब हम उपयोग करते हैं तो निश्चित ही हम बीमार भी कम पड़ेंगे. आज तरह-तरह की बीमारी फैल रही है. उसका सबसे बड़ा कारण रासायनिक खाद का ज्यादा उपयोग कर खेती करना है, जिससे अस्पतालों में भीड़ भी अधिक हो रही है. उन्होंने यह भी बताया कि, जैविक खाद भी तभी अधिक होगा जब पशुधन बढ़ेगा. केंद्र और बिहार सरकार इस पर काम भी अच्छा कर रही है. जल्द ही इसका फायदा भी देखने को मिलेगा.

इसके साथ ही इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी रजनीकान्त प्रवीण राय ने बताया कि, ऑर्गेनिक खेती किसानों और जनता के लिए काफी ही फायदामंद खेती है और यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छा है. क्योंकि इसमें रासायनिक खाद का उपयोग नाममात्र होता है. सरकार के तरफ से इसको बढ़ावा देने के लिए अब ऑनलाईन आवेदन लेना शुरू किया. वर्मी खाद बनाने के लिए आज इस पर सरकार 5 हजार रुपया का अनुदान भी दे रही है ताकी जैविक खाद को बढ़ावा मिल सके. एक किसान को अधिकतम तीन वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है. पश्चिम चंपारण जिला के कई किसान जैविक खाद से खेती कर कम लागत से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. जैविक खेती से उपजे फसल का मूल्य भी अधिक मिलता है. इसके लिए सरकार पशुधन को बढ़ावा देने के लिए मानरेगा से पशुशेड का भी निर्माण कराया जा रहा है.

बेतिया आशीष कुमार की रिपोर्ट

Darsh-ad
Darsh-ad
Darsh-ad

Scan and join

Description of image