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ठंड से पहले बिहार आने लगे प्रवासी पक्षी, विशेषज्ञों ने कहा 'है शुभ लक्षण...'

शुभ संकेत: बिहार में जाड़े से पहले प्रवासी पक्षियों का आगमन बढ़ा। सितंबर के पहले सप्ताह में ही बिहार के मैदानी इलाकों में देखी जा रही पक्षियां। वर्तमान में गरूड़ प्रजनन स्थल में बिहार अव्वल

Migratory birds started coming to Bihar before winter
ठंड से पहले बिहार आने लगे प्रवासी पक्षी, विशेषज्ञों ने कहा 'है शुभ लक्षण...'- फोटो : Darsh News

पटना: जाड़े के आगमन से पहले बिहार के विभिन्न हिस्सों में कई प्रवासी पक्षियों का देखा जाना इस बार शुभ संकेत माना जा रहा है। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के तहत कार्यरत इंडियन बर्ड कंजरवेशन नेटवर्क  के बिहार राज्य कोऑर्डिनेटर एवं राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र, पटना के अंतरिम निदेशक डॉ गोपाल शर्मा ने बताया कि इस बार प्रवासी पक्षियों का समय से पहले आना सर्दियों में कड़ी ठंड पड़ने की संभावना को दर्शाता है। साथ ही, इनकी संख्या में भी इजाफा होगा।

डॉ शर्मा ने बताया कि ग्रे-हेडेड लैपविंग, कॉमन सैंडपाइपर, ग्लॉसी आइबिस, रेड-नेक्ड फाल्कन, स्टॉर्क-बिल्ड किंगफिशर और वाइट वैगटेल जैसी महत्वपूर्ण प्रवासी पक्षियां अब सितंबर के पहले सप्ताह में ही बिहार के मैदानी इलाकों में देखी जा रही हैं। जबकि पहले ये पक्षी सामान्यतः अक्टूबर के मध्य में दिखाई देते थे। इसके पीछे तापमान में बदलाव, मौसम की अनियमितता और जल-आवास के बेहतर संरक्षण जैसे कारण माने जा रहे हैं।

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विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव नदियों, तालाबों, जंगलों और खेतों जैसे प्राकृतिक आवासों की गुणवत्ता में सुधार का संकेत भी हो सकता है, जिससे पक्षियों को बेहतर रहने और प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियां मिल रही हैं। इस प्रकार के सकारात्मक संकेत भविष्य में पक्षी संरक्षण और पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में आशावाद को बढ़ावा देते हैं।

एशियन वाटर बर्ड सेंसस के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर ने बताया कि इस बार बया एवं गौरैया की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसके पीछे प्रमुख कारणों में सर्दियों की तैयारी, फसलों की कटाई के बाद खेतों में उपलब्ध अनाज और कीट-पतंगे, क्षेत्रीय संरक्षण प्रयास और शीतकालीन प्रवासी पक्षियों का माइग्रेशन शामिल हैं। डॉ ज्ञानी ने यह भी बताया कि बड़ा गरुड़, जो अपने घोंसले को चुनने और बनाने में विशेषज्ञ है, मुख्य रूप से असम के ब्रह्मपुत्र घाटी एवं बिहार के भागलपुर के कदवा दियारा क्षेत्रों में पाया जाता है। वर्तमान में बिहार इस पक्षी के तीन ज्ञात प्रजनन स्थलों में अग्रणी स्थान पर है।

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