Patna - बिहार की नीति सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी के बयान इन दिनों राजनीतिक सुर्खियां बटोर रहे हैं. उनके बयानों की वजह से सत्ताधारी JDU को कई बार सफाई देनी पड़ी है. कुछ दिन पहले उन्होंने भूमिहार समाज को लेकर जहानाबाद में बयान दिया था, इसके बाद जमकर बवाल हुआ था, बाद में अशोक चौधरी और जदयू को सफाई देनी पड़ी थी. आज अशोक चौधरी के एक ट्वीट के बाद फिर से राजनीति घमासान मचा हुआ है और इस ट्वीट के तुरंत बाद उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आवास से तलब किया गया, इसके बाद अशोक चौधरी भाग्य भाग्य सीएम आवास पहुंचे और वहां से निकलने के बाद उन्होंने सीएम नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की.
दरअसल मंत्री अशोक चौधरी ने आज सोशल मीडिया X पर एक कविता पोस्ट किया है.इस पोस्ट में अशोक चौधरी ने लिखा कि
"बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए. एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना, छोड़ दीजिए. बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, छोड़ दीजिए. गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें, छोड़ दीजिए. एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, छोड़ दीजिए. अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, छोड़ दीजिए.यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, छोड़ दीजिए. हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना, छोड़ दीजिए. बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, छोड़ दीजिए. उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, छोड दीजिए."
इस ट्वीट के बाद राजनीतिक बयान बाजी तेज हो गई विपक्षी दलों ने अशोक चौधरी के बयान के बहाने सीएम नीतीश पर तंज कसा, तो सत्ताधारी जेडीयू के नेता भी असहज दिखे. कुछ देर बाद ही अशोक चौधरी को सीएम हाउस तलब कर लिया गया. आनन-फानन में अशोक चौधरी सीएम आवास पहुंचा. वहां डेढ़ घंटे तक वे रहे. बाद में हुए अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि हर किसी की अपनी अपनी सोच है. कुछ लोग एक ही ग्लास को आधा भरा तो कोई आधा खाली देखता है.
अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार को अपना मानस पिता मानते हैं. राजनीति में सबसे ज्यादा किसी ने मुझे सम्मान दिया वो नीतीश कुमार हैं. दिन रात में नीतीश कुमार और जेडीयू के लिए मेहनत कर रहा हूं. बिना सदन के सदस्य रहे मुझे नीतीश कुमार ने दो-दो बार 6 महीने तक मंत्री बनाए रखे. 1952 के बाद पहली बार हुआ होगा जब किसी दलित नेता को बिना सदन के सदस्य रहते हुए मंत्री पद दिया गया होगा.
अब देखना है कि अशोक चौधरी के इस कविता और बाद में दी गई सफाई को लेकर जेडीयू और उसके नेता CM नीतीश कुमार क्या कदम उठाते हैं, लेकिन कई राजनीतिक विश्लेषण यह कह रहे हैं कि मंत्री अशोक चौधरी के मन में जरूर कुछ चल रहा है जिसकी वजह से वे बीच-बीच में इस तरह का बयान देते हैं जो सुर्खियां बन जाती है और जदयू के लिए सफाई देना मुश्किल हो जाता है.