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स्मृति ईरानी के मंत्रालय में 144 करोड़ का घोटाला हुआ, संस्थान खुला ही नहीं, पैसा धड़ाधड़ जा रहा!

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केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा हर साल अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खेल सामने आया है. मंत्रालय की ओर से किए गए दावों के मुताबिक, छात्रवृत्ति योजना में लगभग 144 करोड़ का घोटाला हुआ है. अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लगभग 53 प्रतिशत लाभार्थी 'फर्जी' पाए गए हैं. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की एक आंतरिक जांच में इस कथित भ्रष्टाचार का पता चला है. एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें अब तक 830 'फर्जी' संस्थानों का पता चला है. रिपोर्ट में पिछले 5 साल में 144.83 करोड़ रुपये के घोटाले की बात कही गई है. 

अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने इसकी आगे की जांच CBI को सौंपी है. रिपोर्ट के मुताबिक अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इस मामले में 10 जुलाई को अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. बताया जाता है कि 34 राज्यों के 100 जिलों में मंत्रालय ने आंतरिक जांच कराई. इनमें से अब तक 21 राज्यों के 1572 संस्थानों में से 830 संस्थान ‘फर्जी’ पाए गए हैं. लगभग 53 प्रतिशत ‘फर्जी’ अभ्यर्थी मिले हैं. बाकी बचे राज्यों के संस्थानों की भी जांच जारी है. फिलहाल, अधिकारियों ने इन 830 संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दे दिया है.

सूत्रों के मुताबिक ये घोटाला कई स्तरों पर हुआ है और एक संस्थागत भ्रष्टाचार है. संस्थान या तो मौजूद नहीं हैं या ऑपरेशनल नहीं हैं, लेकिन ये राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (UDISE) दोनों पर रजिस्टर हैं. अब CBI इन संस्थानों के उन नोडल अधिकारियों की जांच करेगी, जिन्होंने इन संस्थानों को अप्रूवल रिपोर्ट दी थी. मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, इस फर्जीवाड़े में शक की सुई जिले के नोडल अधिकारी से लेकर बैंक कर्मचारियों, मदरसों या संस्थानों के पदाधिकारियों से लेकर लाभार्थी और उसके परिवारीजनों तक पर जा रही है. फर्जीवाड़े में जिन राज्यों में बड़ी संख्या में मामले सामने आए हैं, उनमें असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, यूपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल, पंजाब और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं.

यानी अब वे जिला नोडल अधिकारी जांच के दायरे में आएंगे, जिन्होंने फर्जी मामलों को वेरिफाई किया था. ये जांच भी होगी कि कैसे कई राज्यों में ये घोटाला सालों तक चलता रहा. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि मंत्रालय ने ये भी सवाल उठाया है कि बैंकों ने फर्जी आधार कार्ड और KYC डॉक्यूमेंट के साथ लाभार्थियों के लिए फर्जी खाते खोलने की मंजूरी कैसे दे दी?

मंत्रालय की जांच में क्या पता चला?

- छत्तीसगढ़ में 62 संस्थानों की जांच में सभी संस्थान फर्जी/नॉन-ऑपरेशनल पाए गए.

- राजस्थान के 128 संस्थानों की जांच की गई. इसमें 99 नकली/नॉन ऑपरेशनल पाए गए.

- असम में 68 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए.

- कर्नाटक में 64 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए.

- यूपी में 44 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए.

- पश्चिम बंगाल 39 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए.

- केरल के मल्लापुरम में एक बैंक ब्रांच ने 66,000 स्कॉलरशिप दीं. ये संख्या रजिस्टर किए गए पात्र अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या से अधिक पाई गई.

- जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग के एक कॉलेज में जिसमें 5,000 स्टूडेंट का रजिस्ट्रेशन है, उस कॉलेज से 7,000  स्कॉलरशिप क्लेम की गई.

- एक पैरेंट का मोबाइल नंबर 22 बच्चों के साथ जुड़ा पाया गया, ये सभी बच्चे कथित तौर पर 9वीं क्लास के थे.

- एक अन्य अल्पसंख्यक संस्थान में जहां हॉस्टल नहीं है, फिर भी वहां के सभी छात्रों के नाम पर हॉस्टल स्कॉलरशिप क्लेम की गई.

- पंजाब में ऐसे अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति मिल गई, जिनका स्कूल में नामांकन भी नहीं हुआ.

बता दें कि अल्पसंख्यक स्टूडेंट के लिए स्कॉलरशिप की योजना 2007-08 में शुरू की गई थी. अल्पसंख्यक मंत्रालय 1 लाख 80 हजार संस्थानों को स्कॉलरशिप देता है. इसका फायदा कक्षा 1 से उच्च शिक्षा लेने वाले अल्पसंख्यक स्टूडेंट को मिलता है.

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