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लैटरल एंट्री से नौकरी के मुद्दे पर बैकफुट पर मोदी सरकार..

Modi government on back foot on the issue of jobs through la

Desk- केंद्रीय सचिवालय में लैटरल एंट्री को लेकर मोदी सरकार बैक फुट पर नजर आ रही है. विरोधी के साथ सहयोगी दलों की आपत्ति के बाद केंद्र सरकार ने इस मसले पर बड़ा फैसला लिया है.

 मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी के निर्देश पर केंद्रीय सचिवालय के लिए यूपीएससी द्वारा की जाने वाली लैटरल बहाली पर रोक लगा दी गई है।

इसको लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी को पत्र लिखकर सीधी भर्ती पर रोकने का फैसला लेते हुए विज्ञापन को रद्द करने को कहा गया है। 

बताते चलें कि संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया था , जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद शामिल हैं. इन पदों को अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भरा जाना था .अनुबंध की वजह से इस भर्ती में आरक्षण के नियम का पालन नहीं किया गया था . विपक्षी दलों के नेता इसे मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनाने कोशिश कर रहे थे, और केंद्र सरकार को आरक्षण विरोधी करार दे रहे थे. इस मुद्दे पर  विपक्षी दलों के नेताओं के साथ ही खुद को PM मोदी का हनुमान कहने वाले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी नाराजगी जताई थी. इस मसले पर  केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने लेटरल एंट्री के जरिए सरकारी पदों पर नियुक्तियों के किसी भी कदम की आलोचना करते हुए कहा था कि वह केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे.किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए. इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है. निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है और अगर सरकारी पदों पर भी इसे लागू नहीं किया जाता है,तो यह गलत होगा.


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