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RSS स्थापना दिवस पर मोहन भागवत ने एकजुट होने का दिया संदेश..

Mohan Bhagwat gave the message of unity on RSS foundation da

Desk - राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना सन 1925 में विजयदशमी के दिन की गई थी. इसलिए हर साल रस विजयदशमी को विशेष पर्व के रूप में मनाता है. स्थापना के 99 साल पूरे होने के बाद आज विजयदशमी के अवसर पर आरएसएस मुख्यालय नागपुर में विशेष समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें RSS प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और पूर्व इसरो प्रमुख के. सिवन, पद्म भूषण और पूर्व इसरो प्रमुख के. राधाकृष्णन शामिल हुए.

इस अवसर पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की। आरएसएस सदस्यों ने पथ संचलन का आयोजन किया। इसके अलावा, आरएसएस कार्यालय पर संघ का ध्वजारोहण भी किया गया। मोहन भागवत ने इस अवसर पर सभी देशवासियों को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का संकल्प लिया।

 मोहन भागवत ने अपने संबोधन में हिंदुओं को संगठित होकर आगे बढ़ने के साथ ही देश और विदेश के कई मुद्दों की चर्चा की.


भागवत ने अपने संबोधन में कहा, 'अभी गणेश उत्सव के दौरान विसर्जनों पर पथराव हुआ, क्यों हुआ कोई कारण नहीं था। ऐसे में प्रशासन को तुरंत एक्शन लेना चाहिए। कई जगह लिया भी गया, कई जगह नहीं भी हुआ, गुंडागर्दी नहीं चलनी चाहिए, किसी को भी चलाने नहीं देनी चाहिए। अपने अधिकार की रक्षा करना अपना अधिकार है। पुलिस प्रशासन का काम है रक्षा करना लेकिन उससे पहले भी अपनों की मदद करना कर्तव्य है। मैं ये वर्णन किसी को डराने के लिए नहीं कर रहा हूं। ये परिस्थिति है, हमें ऐसी परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा।'


मोहन भागवत ने कहा, 'संस्कार क्षय का ही यह परिणाम है कि 'मातृवत् परदारेषु' के आचरण की मान्यता वाले हमारे देश में बलात्कार जैसी घटनाओं का मातृशक्ति को कई जगह सामना करना पड़ रहा है। कोलकाता के आर.जी. कर अस्पताल में घटी घटना सारे समाज को कलंकित करने वाली लज्जाजनक घटनाओं में एक है। उसके निषेध तथा त्वरित व संवेदनशील कार्यवाही की मांग को लेकर चिकित्सक बंधुओं के साथ सारा समाज तो खड़ा हुआ। परन्तु ऐसा जघन्य पाप घटने पर भी, कुछ लोगों की ओर से जिस प्रकार अपराधियों को संरक्षण देने के घृणास्पद प्रयास हुए, यह सब अपराध, राजनीति तथा अपसंस्कृति का गठबंधन हमें किस तरह बिगाड़ रहा है, यह दिखाता है।


 मोहन भागवत ने बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर भी बात रखी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जो भी हुआ हम सबने देखा। वहां जो उत्पात मचा उसकी कुछ तात्कालिक वजहें थीं। लेकिन इतना बड़ा उत्पात हुआ इसके पीछे के बड़े कारण समझना जरूरी है। वहां फिर बांग्लादेशी हिंदुओं पर अत्याचार हुआ। फिर हिंदुओं को अपनी रक्षा के लिए आगे आना पड़ा। दुर्बलों पर अत्याचार करने वाली कट्टरपंथी शक्ति वहां के सभी अल्पसंख्यकों के लिए खतरनाक है। भारत सरकार की सहायता उनको मिलनी ही चाहिए। दुर्बल रहना अपराध है, इसलिए हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है।

देश की चर्चा करते हुए मोहन भागवत ने कहा, 'भारत लगातार आगे बढ़ रहा है, लेकिन जब कोई भी देश जो आगे बढ़ रहा है, उसकी राह में अडंगा लगाने वाले लोग भी बहुत सारे होते हैं। इसलिए दूसरे देशों की सरकारों को कमजोर करना दुनिया में चलते रहता है। 


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