कभी उत्तर प्रदेश का बड़ा माफिया रहे मुख्तार अंसारी की गुरुवार को मौत हो गई. बांदा की जेल में बंद मुख्तार अंसारी की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए ले जाया गया. डॉक्टरों ने साफ कह दिया था कि, उसकी हालत बेहद नाजुक है और आखिरकार करीब 1 घंटे के बाद ही उसका निधन हो गया. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद प्रदेश भर में पुलिस अलर्ट मोड में आ गई. गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के खिलाफ 61 केस दर्ज हैं. इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, सीएलए एक्ट से लेकर एनएसए तक शामिल है. इनमें से उसे 8 मामलों में सजा हो चुकी थी.
मुलायम सरकार तक को हिला डाला था
इस बीच यह भी बता दें कि, कई केस में मुख्तार को सजा हो चुकी थी. इसी के चलते वह वर्षों से जेल में बंद था. एक ऐसा केस में मुख्तार के नाम है, जिसने मुलायम सरकार तक हिला डाली थी. अपने रसूख के चलते उसने अपने में समय में सबसे चर्चित मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह पर ऐसा दबाव बनाया था कि इस केस को ही सरकार ने रद्द कर दिया था. इतना ही नहीं, मुख्तार पर एलएमजी का सौदा करने पर पोटा लगाने वाले पुलिस अधिकारी को महकमा छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया था. वहीं, अब मुख्तार अंसारी के निधन के साथ ही यूपी में माफिया राज के एक युग का अंत हो गया. तो आइए, जानते हैं कि आखिर किस तरह मुख्तार अंसारी के अरबों के साम्राज्य का धीरे-धीरे अंत होता गया...
2002 से 2017 रहा मऊ से विधायक
दरअसल, मुख्तार अंसारी साल 2002 से 2017 लगातार यूपी के मऊ से विधायक रहा. यहां गौर करने और हैरानी की बात यह थी कि वह जेल से ही पर्चा भरता था और वहीं से सब कुछ मैनेज कर के चुनाव भी जीत जाता था. खुद को क्रिमिनल करार दिए जाने पर वह कहता था, "मैं अपराधी नहीं, लोगों का मददगार हूं." 2005 में मुख्तार अंसारी के सबसे खूंखार शूटर मुन्ना बजरंगी ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी थी. हत्या को तब जिस तरह अंजाम दिया गया था, उसके बाद यह माना जाने लगा था कि उसे चुनौती देने वाला शायद कोई नहीं है. खबर की माने तो, यूपी पुलिस के मुताबिक, मुख्तार अंसारी ने यूपी में कई जघन्य अपराध किए, जिनमें पुलिस वालों की हत्या भी शामिल थीं. वह राज्य के कुख्यात अपराधियों और शूटर्स का गैंग बनाकर काम करता था. इतना ही नहीं, उसका कनेक्शन बिहार के गैंगस्टर मोहम्मद शहाबुद्दीन से भी था. यही वजह रही कि उसने मजबूत नेटवर्क बना लिया था. मुख्तार अंसारी कोयला मंडी और ठेकों से करोड़ों रुपए की मासिक उगाही करता था. कारोबारियों को भी डरा-धमका कर उनसे वसूली किया करता था.
साल 2020 से शुरु हुआ मिशन क्लीन
लेकिन, धीरे-धीरे समय बीतता गया और मुख्तार अंसारी के लिए साल 2020 ही काल के रूप में साबित होने लगा. उसी दौरान उसके खिलाफ मिशन क्लीन शुरू किया गया था. जिस तरह वह कभी लोगों में डर फैलाता था, उससे बुरी तरह पुलिस उसके गैंग के लोगों में डर फैलाने लगी थी. यह वह समय था जब मुख्तार के गुर्गों के मकानों और दुकानों पर बुल्डोजर एक्शन होने लगा था. उसके एक-एक अपराध का हिसाब हो रहा था. इससे पहले साल 2009 में ही मुंबई से उसका सबसे दुर्दांत शूटर मुन्ना बजरंगी अरेस्ट किया गया, जिसकी वर्ष 2018 के यूपी के बागपत में जेल के भीतर हत्या हो गई. यह घटनाक्रम भी मुख्तार अंसारी के लिए बड़े झटके के रूप में माना जाता है. फिर बांदा की जेल में उसका नेटवर्क भी खत्म हो गया था और उसके पुराने लोग भी उससे दूर हो गए. इधर, यूपी के मऊ से कई बार विधायक रह चुके मुख्तार अंसारी को कई मामलों में सजा सुनाई गई और वह बांदा की जेल में बंद था. मुख्तार अंसारी पर यूपी, पंजाब, नई दिल्ली और कुछ और राज्यों में लगभग 60 मामले पेडिंग थे. मुख्तार अंसारी की यूपी के नोएडा, कानपुर, लखनऊ, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर और वाराणसी में अरबों की प्रॉपर्टी थी. लेकिन, 28 मार्च को देर रात मुख्तार अंसारी ने आखिरी सांस ली. जिसके बाद से बिहार से लेकर यूपी तक की सियासत में हलचल पैदा हो गई है. हर कोई मुख्तार अंसारी की मौत पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं.