17 दिनों की लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार मंगलवार (28 नवंबर) की रात को रेस्क्यू टीम सफल हो पाई और टनल में अंदर फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया. आपको बता दें कि, उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा के करीब 4.5 किमी लंबी निर्माणाधीन टनल में 12 नवंबर को दीपावली की सुबह भूस्खलन हो गया था. जिसके बाद वहां नाइट शिफ्ट में काम कर रहे करीब 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें निकालने के लिए बीते 17 दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था. जिसके बाद मंगलवार (28 नवंबर) को कामयाबी मिली. इसी के साथ मुजफ्फरपुर के सरैया प्रखंड के गीजास गांव के दीपक जो उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में दो हफ्ते से फंसे थे, उनके बाहर निकलने की खबर जैसे ही आई परिजनों की आंखें छलक आई.
बेटे के इंतजार में पथराई मां-बाप की आंखों में मंगलवार को उम्मीद की चमक तब आई, जब घर वालों को बताया गया कि, आज मजदूरों के निकलने की संभावना है. रात नौ बजे दीपक के टनल से सुरक्षित निकलने का समाचार मिला. दीपक पहाड़ों का सीना चीरकर बाहर निकला तो उसके घर वालों की आंखों में खुशियों के आंसू छलक पड़े. बेटे के इंतजार में पथराई मां-बाप की आंखों में मंगलवार को उम्मीद की चमक तब आई, जब उसके मामा ने बताया कि, टनल से आज दीपक का निकलना संभव है. मां पूजा-पाठ में जुट गई तो पिता की निगाहें मोबाइल की स्क्रीन पर थी. इनके कलेजे को शांति तब नसीब हुई, जब रात करीब नौ बजे दीपक के टनल से सुरक्षित निकलने का समाचार मिला.
इसके बाद मां-बाप की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे. दीपक के पिता शत्रुघ्न पटेल ने बताया कि, जब से घटना की सूचना मिली, घर में सभी की भूख-प्यास और नींद गायब हो गई थी. सबको बेटे की सकुशल घर वापसी का इंतजार था. मंगलवार सुबह सूचना मिली कि आज वहां फंसे लोगों को निकाला जा सकता है. इसके बाद तो गांव वाले और रिश्तेदार जानकारी लेने घर पहुंचने लगे. सभी दीपक की वापसी के लिए प्रार्थना कर रहे थे. वहीं, दीपक की मां उषा देवी ने बताया कि, आज बेटे का पुनर्जन्म हुआ है. इसके बाद दीपक की मां महिलाओं के साथ खुशी की खबर के इंतजार में टीवी से चिपकी रहीं. पिता ग्रामीणों के साथ बरामदे पर टकटकी लगाए बैठे रहे. रात नौ बजे दीपक के बाहर आने की सूचना मिलते ही गांव में खुशी की लहर दौड़ गई.
मुजफ्फरपुर से मुकेश ठाकुर की रिपोर्ट