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नौसेना को मिली दूसरी परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी, INS अरिघाट ने भारत की परमाणु त्रिकोण को मजबूत किया

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भारत की परमाणु पनडुब्बी 'आईएनएस अरिघात' गुरुवार को नौसेना में शामिल की गई। अरिहंत श्रेणी की इस दूसरी पनडुब्बी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में विशाखापत्तनम में नौसेना में शामिल किया गया।

'अरिघात' 750 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली स्वदेशी 'के-15 बैलिस्टिक' (न्यूक्लियर) मिसाइल से लैस है। इसका वजन करीब छह हजार टन है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अरिघात की लंबाई करीब 110 मीटर और चौड़ाई 11 मीटर है।

आधिकारिक तौर पर नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद भारत के पास अब दो एसएसबीएन न्यूक्लियर सबमरीन हो गई हैं। इससे पहले साल 2016 में स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी ‘आईएनएस अरहिंत’ को जंगी बेड़े में शामिल किया गया था।

'अरिघात' के कमीशनिंग के मौके पर रक्षा मंत्री ने विश्वास जताया कि यह भारत की सुरक्षा को और मजबूत करेगी, परमाणु प्रतिरोध को बढ़ाएगी, क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि यह देश की सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाएगी। उन्होंने इसे राष्ट्र के लिए एक उपलब्धि और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के रक्षा क्षेत्र में 'आत्मनिर्भरता' हासिल करने के अटूट संकल्प का प्रमाण बताया।

राजनाथ सिंह ने इस क्षमता को हासिल करने में कड़ी मेहनत और तालमेल के लिए भारतीय नौसेना, डीआरडीओ और उद्योग की सराहना की। उन्होंने इस आत्मनिर्भरता को आत्मशक्ति की नींव बताया। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि इस परियोजना के माध्यम से देश के औद्योगिक क्षेत्र, विशेषकर एमएसएमई को भारी बढ़ावा मिला है और रोजगार के अधिक अवसर पैदा हुए हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा, “आज, भारत एक विकसित देश बनने के लिए आगे बढ़ रहा है। विशेषकर आज के भू-राजनीतिक परिदृश्य में रक्षा सहित हर क्षेत्र में तेजी से विकास करना हमारे लिए आवश्यक है। हमें आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ मजबूत सेना की भी जरूरत है। हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है कि हमारे सैनिकों के पास भारतीय धरती पर बने उच्च गुणवत्ता वाले हथियार और प्लेटफॉर्म हों।''

'आईएनएस अरिघात' पर स्वदेशी सिस्टम और उपकरण लगे हैं, जिनकी संकल्पना से डिजाइन तक और निर्माण से एकीकरण तक भारतीय वैज्ञानिकों, उद्योग और नौसेना कर्मियों द्वारा किया गया है। इस पनडुब्बी में स्वदेशी रूप से की गई तकनीकी प्रगति के कारण यह अपने पूर्ववर्ती 'अरिहंत' की तुलना में काफी उन्नत है। दोनों पनडुब्बियों की मौजूदगी संभावित विरोधियों को रोकने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की भारत की क्षमता को बढ़ाएगी।

'अरिघात' शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। संस्कृत में इसका अर्थ है, दुश्मनों का संहार करने वाला। भारत की इस दूसरी परमाणु पनडुब्बी को विशाखापट्टनम स्थित शिपयार्ड में बनाया गया है।

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