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केंद्र सरकार और NTA के हलफनामे से असमंजस में NEET UG के 24 लाख परीक्षार्थी

NEET UG candidates angry with Central Government and NTA's a

DESK- NEET UG 2024 के करीब 24 लाख परीक्षार्थी अभी भी असमंजस की स्थिति में है क्योंकि परीक्षार्थियों का एक वर्ग लगातार आंदोलन कर रहा है और इस परीक्षा को रद्द करके फिर से परीक्षा लेने की मांग कर रहा है, जबकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के साथ ही केंद्र सरकार भी परीक्षा को रद्द करने के पक्ष में नहीं है. इससे आंदोलन करने वाले छात्रों को ये समझ में नहीं आ रहा है कि महज आशंका के आधार पर केंद्रीय शिक्षा विभाग ने नेट यूजीसी परीक्षा को एक दिन बाद ही रद्द कर दिया,जबकि नीट यूजी परीक्षा में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई है.पेपर लीक का मामला स्पष्ट रूप से सामने आया है, कई  परीक्षार्थी और पेपर लीक में शामिल आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, इसके बावजूद केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी इस परीक्षा को आखिर रद्द क्यों नहीं करना चाह रही है, कहीं गड़बड़ी करने वाले का बड़ा दबाव समूह तो  काम नहीं कर रहा है जिसकी वजह से केंद्र सरकार ये स्टैंड ले रही है. विपक्षी पार्टी के नेता लगातार इस गड़बड़ी में सत्ताधारी भाजपा के नेताओं की मिलीभगत बता रहे हैं.

 बताते चलें कि NEET पेपर लीक परीक्षा में हुईं गड़बड़ियों और ग्रेस मार्क्स के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में कुल 26 याचिकायें दायर की गई हैं. इन सभी याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई होनी है. इसमें से 22 याचिकाएं स्टूडेंट्स, टीचर्स, कोचिंग इंस्टीट्यूट और वेलफेयर एसोशिएशन की तरफ से दायर की गई हैं, जो परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं. वहीं 4 याचिकाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से दायर की गयी हैं. 8 जुलाई की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से हलफनामा दायर करने को कहा था.

 केंद्र सरकार ने हलफनामे में  अपना स्टैंड क्लीयर कर दिया है. केंद्र सरकार ने कहा है कि NEET-UG 2024 परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के सबूत नहीं हैं. ऐसे में पूरी परीक्षा रद्द करना सही नहीं होगा.वहीं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानि NTA ने भी हलफनामा दायर किया है.NTA ने कहा है कि NEET-UG 2024 परीक्षा को रद्द करना जनहित के खिलाफ होगा. पेपर लीक की कथित घटनाओं का परीक्षा के ऑपरेशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. इस एग्जाम को पूरी निष्पक्षता और गोपनीयता के साथ कराया गया है। एग्जाम के दौरान बड़े स्तर पर गड़बड़ियों और अनियमितताओं के दावे पूरी तरह से गलत और भ्रामक हैं.. इनका कोई आधार नहीं है.

किसी भी अखिल भारतीय परीक्षा में गड़बड़ी के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी भी सबूत के अभाव में पूरी परीक्षा और पहले से घोषित परिणामों को रद्द करना सही नहीं है. परीक्षा रद्द करने के फैसले से वैसे लाखों स्टूडेंट के हितों को भी खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए, जिन्होंने बिना किसी गलत तरीके को अपनाए परीक्षा दी.. परीक्षा पूरी तरह से रद्द करने से 2024 में परीक्षा देने वाले लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को गंभीर रूप से खतरा होगा।"


 गौरतलब है कि सुप्रीम की सुनवाई से पहले भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और केंद्र सरकार यही कह रही थी कि किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर गंभीरता दिखाई, और छात्रों का आंदोलन तेज हुआ तो फिर केंद्र सरकार ने सीबीआई को यह जांच दे दिया है, सीबीआई से पहले बिहार की आर्थिक अपराध इकाई ने कार्रवाई की थी. यह रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी है. पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि इस तरह के परीक्षा में छोटी सी गलती भी बड़ा असर डाल सकती है इसलिए पूरे मामले पर विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद वह सही फैसला लेंगे. इसलिए 8 जुलाई की तारीख काफी अहम है उन 24 लाख परीक्षार्थियों के लिए जिन्होंने नीट परीक्षा दी थी इनमें से काफी संख्या में ऐसे भी परीक्षार्थी हैं जिन्होंने अपनी मेरिट के आधार पर परीक्षा दी थी और वह पास भी हुए हैं लेकिन  जिस तरह के आरोप लग रहे हैं और जिस तरह की जांच एजेंसियों ने गिरफ्तारी की है उससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि कहीं न कहीं इस परीक्षा में गड़बड़ी हुई है अगर छोटी मोटी गड़बड़ी कहकर मामले की गंभीरता से किनारा किया जाता है तो तो आने वाले दिनों में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पर सकते हैं.


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