पेंशन और मानदेय में बढ़ोतरी, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जनता का बढ़ा भरोसा
पटना: नीतीश कुमार की सरकार ने पिछले कुछ दिनों में एक बार फिर यह साफ़ कर दिया है कि बिहार का विकास सिर्फ चुनावी बातें नहीं, बल्कि धरातल पर योजनाओं और फैसलों का संगठित अभियान है। राज्य की मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की पहली किश्तों का वित्तीय ट्रांसफर और राज्य के विभिन्न जिलों समेत गोपालगंज व वैशाली में सैकड़ों विकास परियोजनाओं का शिलापट्ट-अनावरण एवं उद्घाटन, ये सभी इस बात का प्रमाण हैं कि बिहार में सामाजिक सुरक्षा और आधारभूत ढांचे पर समानांतर गति से निवेश हो रहा है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा महिला रोजगार योजना के तहत महिलाओं के बैंक खातों में सीधे अनुदान भेजना सिर्फ़ धनराशि हस्तांतरण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक आत्मसम्मान, घरेलू आर्थिक सामर्थ्य और सूक्ष्म उद्यमिता को सक्रिय करने का एक मजबूत हाथ है। जब लाखों महिलाओं को पहला अनुदान उनके खाते में मिलता है, तो उसका असर सिर्फ़ खर्च तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह पारिवारिक निर्णयों, बचत–निवेश और छोटे-छोटे उद्यम शुरू करने की प्रेरणा बनता है। ऐसी जनकल्याणकारी योजनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महिलाओं को लक्ष्य बनाकर योजनाएं लागू करना अब नीति का केन्द्र बिंदु है।
गोपालगंज-वैशाली में विकास की नई पटकथा
दूसरी तरफ़, गोपालगंज व वैशाली में किया गया शिलापट्ट अनावरण और सैकड़ों योजनाओं का उद्घाटन, जिनमें सड़क, पुल, स्वास्थ्य, शिक्षा और ऊर्जा पर बड़े निवेश शामिल हैं। यह संकेत देता है कि राज्य सरकार ने ‘प्रगति यात्रा’ की अवधारणा को जमीन पर प्रभावी रूप से लागू किया है। बुनियादी ढांचे में यह व्यापक निवेश स्थानीय अर्थव्यवस्था को तेज़ी से सक्रिय करेगा। बेहतर सड़कें और बाइपास बाजारों व औद्योगिक क्षेत्रों को जोड़ेंगी, ऊर्जा एवं स्वास्थ्य संबंधी निवेश से निवेशक व श्रमिक दोनों को स्थिरता मिलेगी, साथ ही शिक्षा परिसरों में निवेश से मानव संसाधन की गुणवत्ता सुधरेगी। ऐसे संयोजित प्रोजेक्ट्स का रुझान दिखाता है कि सरकार केवल वादे नहीं कर रही, योजनाओं को चरणबद्ध कर के लागू कर रही है। आइए जानते हैं कि इन दो जिलों के प्रमुख विकास परियोजनाओं के बारे में
गोपालगंज में प्रमुख परियोजनाएं एवं योजनाएं
वैशाली में प्रमुख परियोजनाएं एवं योजनाएं
जनकेंद्रित फैसलों से बदला आम लोगों का जीवन स्तर
समाज–सुरक्षा और मानव संसाधन सुधारों पर उठाए गए कदम — पेंशन बढ़ोतरी, आंगनबाड़ी व आशा-कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि, ये छोटे दिखने वाले, पर निर्णायक कदम हैं। इन बदलावों का तात्कालिक परिणाम लाभार्थियों की खरीद क्षमता में वृद्धि और गरिमा में सुधार के रूप में सामने आता है। आने वाले दिनो में यह स्थानीय बाजारों में मांग बढ़ाने और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित करने का काम करेगा। एक जवाबदेह सरकार के तौर पर यह बहुत जरूरी है कि विकास के फायदे नीचे तक पहुंचें। और इन निर्णयों से यही संदेश जा रहा है कि लाभ सबसे ज़रूरतमंदों तक पहुंचाया जा रहा है। नीतीश सरकार का फोकस न सिर्फ़ “विकास दिखाने” पर, बल्कि “लोगों के जीवन स्तर बदलने” पर केंद्रित दिखता है — और यही लोकतंत्र का असली कसौटी है।
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