बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे? उनके बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने की ताजा अटकलों को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन और विपक्षी दल के बीच राजनीतिक तकरार शुरू हो गई है. बिहार के मंत्री और यूपी के जेडीयू प्रभारी श्रवण कुमार के हाल में कहा था कि ऐसी ‘मांगें’ उठ रही कि पार्टी प्रमुख पड़ोसी राज्य से चुनाव मैदान में उतरें. इसके बाद नीतीश कुमार के यूपी से लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गईं. आरजेडी और कांग्रेस ने तो इस पर पॉजिटिव रिएक्शन दिया, लेकिन बीजेपी ने इस मुद्दे पर नीतीश कुमार पर पलटवार किया है.
जेडीयू ने नीतीश के यूपी से चुनाव लड़ने पर क्या कहा
दरअसल, नीतीश कुमार के यूपी से लोकसभा दावेदारी की चर्चा जेडीयू नेता श्रवण कुमार के बयान से शुरू हुई. उन्होंने बुधवार को कहा कि मैं हाल में जौनपुर में था और वहां बहुत मांग थी कि सीएम नीतीश के उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने पर विचार करें. कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ सदस्य और पूर्व जदयू प्रदेश अध्यक्ष बिजेंद्र यादव ने पार्टी कार्यालय में संवाददाताओं से कहा कि न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि कई अन्य राज्यों में हमारी इकाइयां चाहती हैं कि मुख्यमंत्री वहां से चुनाव लड़ें. बेशक, इस बारे में पार्टी नेता को निर्णय लेना है.
इसलिए नीतीश के फूलपूर से दावेदारी की उठ रही मांग
नीतीश कुमार ने पिछले साल बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से नाता तोड़ लिया था. अभी वो 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को हराने की मुहिम में लगे हुए हैं. उनके बारे में अटकलें जोरों पर हैं कि वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सीट के रूप में प्रसिद्ध फूलपुर से चुनाव लड़ सकते हैं. इस संसदीय सीट के तहत प्रयागराज शहर का एक बड़ा हिस्सा आता है और वहां कुर्मी जाति की एक बड़ी आबादी है. जिससे नीतीश कुमार संबंधित हैं और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से लगभग 100 किलोमीटर दूर है.
फूलपुर ही नहीं इन दो सीटों पर भी नीतीश की डिमांड!
श्रवण कुमार ने कहा कि सिर्फ फूलपुर नहीं है. हाल में उत्तर प्रदेश दौरे के दौरान मुझे एहसास हुआ कि फतेहपुर और प्रतापगढ़ समेत कई अन्य सीटें हैं, जहां हमारी पार्टी चाहती है कि मुख्यमंत्री दावेदारी करें. उन्हें लगता है कि इससे माहौल बनेगा. वहीं बिहार में जदयू की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति यादव से जब यह पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर उस राज्य के लोग चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए. यह बिहार के लिए गर्व की बात है कि हमारे नेता की लोकप्रियता बिहार की सीमाओं से परे है.
फूलपुर सीट क्यों है अहम
इस सीट का नेहरू से जुड़ाव रहा है और उनकी मृत्यु के बाद विजय लक्ष्मी पंडित ने यहां से जीत दर्ज की थी. हालांकि, अब फूलपुर कांग्रेस की पकड़ से निकल चुका है. आखिरी बार 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या से उत्पन्न लहर के समय पार्टी ने इस सीट से जीत हासिल की थी.
कांग्रेस ने नीतीश के 'यूपी प्लान' पर क्या कहा
बिहार में जदयू की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने भी इस पर रिएक्ट किया. बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान से नीतीश के फूलपुर से चुनाव लड़ने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि क्यों नहीं? जब गुजरात का कोई व्यक्ति वाराणसी से चुनाव लड़ सकता है और जीत सकता है, तो हम उत्तर प्रदेश के बहुत करीब हैं.
बीजेपी बोली- घरेलू इलाकों में लोकप्रियता खो चुके हैं नीतीश
नीतीश के उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की चर्चा से नाराज दिख रही बीजेपी के नेताओं ने इसे लेकर जेडीयू के शीर्ष नेता पर निशाना साधा. बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने अलग-अलग बयान में सीएम नीतीश को घेरा. उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश अपने घरेलू क्षेत्र में अपनी लोकप्रियता खो चुके हैं. अगर वह पड़ोसी राज्य में जाते हैं तो उन्हें अपमान का सामना करना पड़ेगा. बीजेपी के दोनों नेताओं ने नीतीश की पार्टी जदयू पर फूलपुर के ‘जातीय अंकगणित’ के दृष्टिकोण से सोचने का भी आरोप लगाया.