बिहार के सीएम नीतीश कुमार बुधवार शाम राजद सुप्रीमो लालू यादव से मिले. मलमास मेले के उद्घाटन के लिए राजगीर गए नीतीश कुमार, बुधवार शाम पटना लौटने के कुछ देर बाद ही अचानक लालू यादव से मिलने राबड़ी आवास पहुंचे. यहां लगभग आधा घंटा रहे नीतीश कुमार ने लालू यादव से मुलाकात की. नीतीश कुमार से लालू के मिलने के बाद राज्य में नई अटकलबाजियां शुरू हो गई हैं. दरअसल, बिहार के राजनीतिक हालात मंगलवार को बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक के बाद ही बदले बदले से हैं. क्योंकि चर्चा यह है कि बेंगलुरु की बैठक से नीतीश और लालू दोनों खुश नहीं हैं. अब दोनों की पटना में मुलाकात कई नए कयासों को जन्म दे रही है.
बेंगलुरु की बैठक में इन मुद्दों पर नीतीश-लालू, कांग्रेस से नाराज
गठबंधन का नाम INDIA दोनों नेताओं को खास पसंद नहीं आया है. चर्चा यह है कि नीतीश कुमार गठबंधन के कन्वीनर बनना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस राजी नहीं हुई. गठबंधन को एक तरह से कांग्रेस ही लीड करने लगी, जबकि इसके लिए नीतीश कुमार ने प्रयास शुरू किए थे.
नीतीश ने मांगा लालू का साथ?
विपक्षी दलों की बैठक के बाद नीतीश कुमार के कांग्रेस से नाराज होने की चर्चा जोरों पर है. बुधवार को राजगीर में नीतीश कुमार ने वैसे तो भाजपा के खिलाफ भड़ास निकालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. लेकिन कांग्रेस के रवैए को लेकर नीतीश कुमार टालने वाले अंदाज में ही रहे. लेकिन अब लालू और नीतीश कुमार की मुलाकात पर संभावना यह बन रही है कि गठबंधन में अगर कांग्रेस मनमानी करेगी, तो उससे निपटने के तरीकों पर चर्चा हो सकती है. वहीं अहम सवाल यह भी कि अगर नीतीश वाकई नाराज हो गए तो लालू और तेजस्वी किसका साथ देंगे. बिहार की राजनीति के जानकार बताते हैं कि लालू और तेजस्वी मौजूदा परिस्थितियों में नीतीश कुमार का ही साथ देंगे. इसकी कई वजह हैं.
पहली वजह ये है कि नीतीश कुमार अगर बिहार की राजनीति छोड़ दिल्ली की राजनीति में आगे बढ़ते हैं, तो तेजस्वी यादव के सीएम बनने का रास्ता साफ होता. लेकिन कांग्रेस ने नीतीश कुमार को दिल्ली के लिए कन्फर्म टिकट नहीं दिया है. ऐसे में नीतीश कुमार को भी नाराज कर लालू-तेजस्वी अभी बिहार की सत्ता नहीं छोड़ना चाहेंगे.
लालू-तेजस्वी की पार्टी राजद के लिए पिछला लोकसभा चुनाव बुरे सपने से कम नहीं था. सालों तक बिहार की सत्ता संभालने वाले राजद का कोई उम्मीदवार 2019 के लोकसभा चुनाव में नहीं जीता।. अभी समीकरण गड़बड़ हुए तो फिर वही स्थिति न आ जाए, इसलिए भी अभी लालू-तेजस्वी के लिए नीतीश का साथ देना मजबूरी है.