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नीतीश कुमार इसी सावन शिक्षकों देंगे सौगात, अंदर की खबर पढ़ झूमने लगेंगे बिहार के नियोजित शिक्षक!

बिहार के नियोजित शिक्षक लंबे समय से सरकारी शिक्षक के दर्जे की मांग नीतीश सरकार से करते आ रहे हैं. शिक्षकों की नई नियुक्ति नियमावली बनने के पहले से ही यह मांग उठती रही है. पहले नियोजित शिक्षकों को पक्की उम्मीद थी कि नई नियमावली बनने के बाद उन्हें सरकारी शिक्षक का दर्जा मिल जाएगा. लेकिन हुआ ठीक इसके उल्टा  सरकारी शिक्षक दर्जा हासिल करने के लिए नियोजित शिक्षकों के सामने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा पास करने की सरकार ने शर्त लाद दी. उसके बाद से ही शिक्षक गुस्से में हैं. प्रखंड, जिला से लेकर राजधानी तक वे प्रदर्शन कर चुके हैं. कई बार तो प्रदर्शन के दौरान उन्हें पुलिस के लाठी-डंडों की मार भी सहनी पड़ी है.

इस बीच लंबे अरसे से बिना शर्त राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग कर रहे राज्य के करीब चार लाख नियोजित शिक्षकों को लेकर नीतीश सरकार ने बेहद ही सकारात्मक कदम उठाया. बीते शनिवार यानि 5 अगस्त 2023 को नीतीश कुमार के आवास पर अचानक महागठबंधन के नेताओं का जुटान होने लगा तो लोग तरह-तरह के कयास लगाने लगे. किसी को मंत्रिमंडल विस्तार की आहट सुनाई दे रही थी तो किसी को तख्ता बदल की आशंका सता रही थी. कई लोग नीतीश के अक्सर चौंकाने वाले फैसले की आशंका से भयभीत हो गए. यह आशंका इसलिए थी कि डेप्युटी सीएम अपने पिता लालू प्रसाद यादव के साथ दिल्ली गए थे. बाद में रहस्य खुला कि बैठक तो नियोजित शिक्षकों की समस्याओं पर राय जानने के लिए बुलाई गई है. 

बैठक में एकल प्रस्ताव नियोजित शिक्षकों की मांगों पर चर्चा करना ही था. साथ में शिक्षक नियुक्ति के लिए खत्म की जा चुकी डोमिसाइल पर सबने सलाह दी. बैठक शुरू होते ही लालू और तेजस्वी भी पटना पहुंच गए. बहरहाल बैठक में बहुमत नियोजित शिक्षकों की मांग को पूरी करने के पक्ष में था. सबकी यही राय थी कि उन्हें सरकारी शिक्षक का दर्जा देना चाहिए और डोमिसाइल नीति को अनिवार्य किया जाना चाहिए. इसके लिए कई राज्यों का उदाहरण भी दिया गया, जहां हर नौकरी में डोमिसाइल को अनिवार्य कर दिया गया है. 

राय जानने के बाद फैसला नीतीश कुमार को ही करना है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि फैसला नियोजित शिक्षकों के पक्ष में ही जाएगा. बैठक के दौरान यह बात भी उठी कि चार लाख नियोजित शिक्षकों को नाराज करना यानि यह फैसला महागठबंधन के खिलाफ जा सकता है. बीजेपी समेत तमाम विपक्षी दल शिक्षकों की नाराजगी को भुनाने के पक्ष में हैं. वे नाराज शिक्षकों के आंदोलन को हवा दे रहे हैं. इसलिए जितनी जल्द हो सके, नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला लेना चाहिए, जिससे विपक्ष के हाथ से यह अवसर छिन जाए. डोमिसाइल नीति लागू करने के पक्ष में भी सभी की राय एक थी.

इससे यह साफ हो गया है कि नियोजित शिक्षकों की मांग का सम्मान करते हुए सरकार जल्द ही निहित कानूनी प्रक्रिया को पूरा करते हुए उसे लागू करने जा रही है. राज्य कर्मचारी का दर्जा देने संबंधी कानूनी बाधा दूर करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी भी जल्द बनेगी. शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने के लिए बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानातंरण एवं सेवा शर्त) नियमावली 2023 में संशोधन होगा और फिर संशोधित नियमावली पर मंत्रिमंडल की स्वीकृति ली जाएगी.

क्या है नियोजित शिक्षकों की मांग?

नियोजित शिक्षकों के लिए यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है. नियोजित शिक्षकों की मांग है कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए और पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू की जाए. साथ ही राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए किसी तरह की कोई परीक्षा नहीं ली जाए....शिक्षक संघ की भी यह भी मांग है कि बिहार में पुरानी डोमिसाइल नीति लागू हो, ताकि बिहारी युवक ही BPSC की बहाली में आवेदन कर सके. इसके साथ ही सामान काम के लिए सामान वेतन दिए जाए.

दरअसल, नियोजित शिक्षकों की महत्वपूर्ण मांग यह भी थी कि यदि नियोजित शिक्षक एक नियोजन इकाई से दूसरे इकाई में जाए तो उसकी सेवा में टूट नहीं हो, बल्कि सेवा में निरंतरता कायम रखी जाए ताकि शिक्षक सेवा में उसकी वरीयता का आकलन हो सके. दूसरी महत्वपूर्ण मांग थी कि वरीयता के आधार पर ही वेतन संरक्षण का लाभ दिया जाए. नीतीश सरकार नियोजित शिक्षकों की इन दो मांगों पर विगत एक अगस्त को मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकृति दे चुकी है. इससे संबंधित अधिसूचना 3 अगस्त को शिक्षा विभाग की ओर से जारी हो चुकी है. शिक्षकों की तीसरी महत्वपूर्ण मांग थी कि बिना परीक्षा लिए राज्य कर्मचारी का दर्जा और स्थानातंरण की सुविधा दी जाए. राज्य कर्मचारी का दर्जा देने में जो कानूनी अड़चन है, उसे दूर करने हेतु सरकार ने सहमति दी है. इस प्रकार नियोजित शिक्षकों की महत्वपूर्ण मांगें स्वीकार कर सरकार ने उन्हें जश्न मनाने का अवसर प्रदान किया है.

लंबित प्रोन्नति और स्थानातंरण की सुविधा जल्द नियोजित शिक्षकों की मांगों पर खासी मेहरबान नीतीश सरकार की ओर से उन्हें लंबित प्रोन्नति और स्थानातंरण की सुविधा का लाभ भी जल्द मिलेगा. शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक नियोजित शिक्षकों की वर्षों से लंबित प्रोन्नति की मांग है. शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ का मसला भी जल्द दूर किया जाएगा.

महत्वपूर्ण बात यह कि अब सिर्फ एक नियमावली ही सभी प्रकार के शिक्षकों पर लागू होगी. इससे बेहतर सेवा शर्त और शिक्षा विभाग का प्रभावी नियंत्रण स्थापित हो सकेगा. नई शिक्षक नियुक्ति नियमावली में सेवा निरंतरता एवं वेतन संरक्षण का स्पष्ट प्रविधान उल्लेखित किया गया. साथ ही, शिक्षकों के सेवा संबंधित जैसे अवकाश स्वीकृति, वेतन भुगतान, वेतन वृद्धि, प्रोन्नति एवं अन्य मामलों की तत्परता से निष्पादन की व्यवस्था एकसमान होगी.

नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलने पर क्या लाभ होगा?

नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलने पर उनसे संबंधित नियोजन इकाइयां खत्म होंगी. फिलहाल ऐसे नियोजित शिक्षक राज्य में विभिन्न स्तर की 9,222 नियोजन इकाइयों से जुड़े हैं. नियोजन इकाई खत्म होने पर जिला शिक्षा संवर्ग में आ जाएंगे और उनका प्राधिकार जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) होंगे. ये शिक्षक का जिला संवर्ग कैडर होगा. 38 जिला शिक्षक नियुक्त प्राधिकार होंगे और जिला शिक्षा अधिकारी इसे लीड करेंगे.

गौरतलब है कि बिहार में 1 लाख 70 हजार से अधिक शिक्षकों की बहाली होने वाली है. नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए इस परीक्षा को पास करना होगा. यह परीक्षा BPSC की ओर से आयोजित की जा रही है. यह परीक्षा इसी महीने होने वाली है, जिसमें राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किए हैं.

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