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अब BPSC पर भड़का केके पाठक का गुस्सा, कर दिया आदेश जारी

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बिहार में शिक्षा विभाग की कमान जब से केके पाठक ने संभाली है तब वे लगातार सुर्खियों में हैं. कभी नए फरमान तो कभी कार्रवाई को लेकर कड़क IAS केके पाठक विवादों के घेरे में रह रहे हैं. बिहार में सरकारी स्कूल की सूरत बदले, इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अब तक कई शिक्षक और अधिकारी नप गए. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के फरमान से मानो पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया हो. इसी क्रम में अब केके पाठक का गुस्सा BPSC पर भड़क उठा है. दरअसल, बिहार में शिक्षकों के 1.70 लाख पदों पर हो रही बहाली में प्रमाण पत्र सत्यापन कार्य चल रहा है. इसमें शिक्षा विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ ही शिक्षकों की भी ड्यूटी लगा दी गई है. जिसको लेकर शिक्षा विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग यानी कि बीपीएससी से इस पर आपत्ति जताई है. 

विभाग ने बीपीएससी से कहा है कि, वह शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र के सत्यापन कार्य से शिक्षा अधिकारियों, कर्मचारियों और टीचरों को मुक्त करें. आपको बता दें कि, शिक्षा विभाग ने आयोग के सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा है. पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि, जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई है कि सभी जिलों में शिविर आयोजित कर आवेदकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया जा रहा है, इस कार्य में शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारी, कर्मियों यहां तक कि कुछ जिलों में शिक्षकों की भी ड्यूटी लगा दी गई है. यह किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है और ना ही यह शिक्षा हित में है. इसके साथ ही जल्द ही शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र के सत्यापन कार्य से शिक्षा अधिकारियों, कर्मचारियों और टीचरों को मुक्त करने की बात कही गई. 

बता दें कि, केके पाठक पूरी तरह से एक्शन मोड में हैं. उनकी कार्रवाई से बचना काफी ज्यादा मुश्किल हो गया है. एक तरफ जहां केके पाठक के काम की कुछ लोग सराहना कर रहे हैं. तो वहीं, दूसरी तरफ शिक्षकों में आक्रोश भी व्याप्त है. शिक्षक लगातार केके पाठक के ट्रांसफर की भी मांग कर रहे हैं. सूत्रों से जानकारी भी आई थी कि, जल्द ही केके पाठक का ट्रांसफर हो सकता है. खैर, कड़क ACS से जुड़े तमाम गतिविधियों को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है. लेकिन, केके पाठक के एक्शन पर ब्रेक लगने का नाम नहीं ले रहा है. अब तो बिहार लोक सेवा आयोग भी शिक्षा विभाग के निशाने पर आ गया है. अब देखने वाली बात होगी कि आखिर कब तक BPSC शिक्षा विभाग के आदेश पर अमल करती है.  

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