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अब चरवाहा विद्यालय के मुद्दे पर आपस में भिड़ गए नीतीश और लालू की पार्टी के नेता

Now leaders of Nitish and Lalu's party clashed with each oth

PATNA- 90 के दशक में बिहार में शुरू की गई चरवाहा विद्यालय 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन गया है. पूर्व मंत्री और जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने लालू यादव के शासनकाल  की चर्चा करते हुए कहा कि उनके शासनकाल में चरवाहा विद्यालय खुलता था और हमारे नेता नीतीश कुमार के शासनकाल में शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं.नीतीश ने वंचित और गरीबों की शिक्षा के लिए व्यापक कदम उठाए हैं, जबकि लालू यादव चरवाहा विद्यालय खोलकर सिर्फ बात बनाते रहे.

 नीरज कुमार के इस बयान पर राजद ने पलटवार किया है और कहा है कि चरवाहा विद्यालय के कांसेप्ट को जापान की सरकार ने भी सराहना की थी.rjd के प्रवक्ता एजाज अहमद ने जद यू के नीरज कुमार के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि गरीबों, शोषितों, वंचितों पिछड़ों ,अति पिछड़ो, दलितों, आदिवासियों के बच्चों को बुनियादी तालीम के लिए चरवाहा विद्यालय के कांसेप्ट को जापान ने भी सराहा था, और इस सोच की तारीफ की थी। 

चरवाहा विद्यालय के माध्यम से लालू प्रसाद ने परंपरागत और पुश्तैनी कार्यों में लगे सर्वसमाज के बच्चों को पढ़ने की जो प्रेरणा दी और बुनियादी तालीम के लिए जो कार्य  किये उसकी सराहना हर ओर से हुई। लालू जी ने कहा गाय चराने वालों बकरी चराने वालों सूअर चराने वालों, मछली पकड़ने वालों, घोंघा चुनने वालों ,मुस पकडने वालों पढ़ना लिखना सीखो और इसको इन्होंने सरजमीन पर चरवाहा विद्यालय के माध्यम से उतारने का कार्य किया।

 

 इन्होंने कहा कि लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के कार्यकाल में जितने विश्वविद्यालय की स्थापना हुई उतना 17 वर्षों के शासनकाल में एनडीए  की सरकार के कार्यकाल में नहीं हुआ ।

एजाज में आगे कहा कि नीरज कुमार जी प्रधानमंत्री जी तो हर हफ्ते देश में एक यूनिवर्सिटी और हर दो दिन पर एक कॉलेज खोलने की बात करते हैं जबकि धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं है, जुमलेबाजी करके आप कितने दिनों तक लोगों को भ्रम में रख कर ठगने का काम कीजिएगा। जबकि सबको पता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने पटना विश्वविद्यालय को नरेंद्र मोदी जी के सामने केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने का प्रस्ताव दिया तो उसे खारिज कर दिया गया। क्या बिहार में इसी तरह से शिक्षा और उच्च शिक्षा को बढ़ावा मिलते रहा कागजों पर तो आंकड़े आप बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं, लेकिन सरजमीन पर जो चीज नहीं दिखता है उस शिक्षा और शिक्षा का स्तर कहां पहुंच गया है, यह स्पष्ट रूप से दिख रहा, जबकि सबको पता है कि लालू प्रसाद और  राबड़ी देवी की कार्यकाल में बीपीएससी के माध्यम से शिक्षकों की बहाली की गई थी और उसके बाद तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार के रहते हुए बीपीएससी के माध्यम से शिक्षकों की बहाली हुई और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षकों के प्रति तेजस्वी प्रसाद यादव ने जो कार्य किया इसकी सराहना हर ओर देखी जा रही है इसी कारण भाजपा और जदयू के नेताओं में बेचैनी है।

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