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अब केके पाठक के निशाने पर आये स्टूडेंट्स, 15 दिनों तक लगातार नहीं पहुंचे स्कूल तो नामांकन होगा रद्द

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बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक का कड़क मिजाज लगातार देखने के लिए मिल रहा है. सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को दूर करने के लिए केके पाठक के द्वारा हर प्रयास किया जा रहा है. स्कूलों को बदहाली से उभारने के लिए अब तक कई शिक्षक और अधिकारी नप गए. लेकिन, अब छात्र-छात्राओं की बारी है. दरअसल, शिक्षक, कोचिंग संचालक और अधिकारी के बाद अब केके पाठक के निशाने पर स्कूल के छात्र और छात्राएं आ गए हैं. केके पाठक ने स्टूडेंट्स के लिए फरमान जारी कर दिया है कि, यदि 15 दिनों तक लगातार कोई भी बच्चा स्कूल से गायब रहा तो उसका नामांकन रद्द कर दिया जायेगा. 

इस फरमान को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि सभी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों यानी कि आरडीडी के अलावा सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी यानी कि डीईओ और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी यानी कि डीपीओ 5-5 विद्यालयों को गोद लेंगे. गोद लिये स्कूलों में 50 फीसदी से अधिक उपस्थिति हर हाल में सुनिश्चित करेंगे. यह भी कहा गया कि, वे ऐसे विद्यालयों का नियमित निरीक्षण कर वहां वे छात्रों और अभिभावकों से मुलाकात भी करेंगे और जो कुछ भी समस्या है उस पर बात भी करेंगे.   

बता दें कि, तीन दिनों तक अनुपस्थित रहने पर नोटिस दिया जाएगा तो वहीं 15 दिनों तक लगातार गायब रहने पर बच्चों का नामांकन रद्द किया जाएगा. जिलाधिकारियों को जारी किये गए पत्र में यह भी कहा गया है कि, 1 जुलाई से मॉनिटरिंग व्यवस्था के बाद 50 फीसदी से कम उपस्थिति वाले विद्यालयों की संख्या लगातार कम हो रही है. लेकिन, अभी भी करीब 10 फीसदी विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्रों की उपस्थिति 50 फीसदी से कम है. ऐसी परिस्थिति में आरडीडी, डीईओ और जीपीओ को हस्तक्षेप करना होगा. देखा जाएगा कि एक ही विद्यार्थी दो स्कूल में नामांकित तो नहीं. साथ ही केके पाठक ने जिलाधिकारियों को विस्तार से विभाग की कार्य योजना बताई है. 

बता दें कि, 15 दिनों तक लगातार बच्चों के स्कूल में नहीं पहुंचने पर यदि उसका नामांकन रद्द कर दिया जाता है तो कहीं ना कहीं सरकार को बड़ी बचत भी हो सकती है. दरअसल, बिहार सरकार ने स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति को बढ़ावा देने और शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए लाभुक योजना DBT को लॉन्च किया था. इस योजना के तहत उन छात्र- छात्राओं को शिक्षा विभाग द्वारा उनके खाते में राशि भेजे जाने का प्रावधान है, जिनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत या उससे अधिक हो. जानकारी के मुताबिक, सरकार हर साल करीब 3000 करोड़ की DBT सहायता देती है. ऐसी परिस्थिति में यदि 10 बच्चों का भी नामांकन रद्द होता है तो सरकार को 300 करोड़ तक की बचत हो सकती है. 

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