PATNA- बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रोफेसर और डॉक्टरों की मनमानी अब नहीं चलेगी. उन्हें 75% अटेंडेंस बायोमेट्रिक हाजिरी के जरिए बनाना होगा. इस बायोमेट्रिक हाजिरी के आधार पर ही उन्हें वेतन का भुगतान किया जाएगा. हालांकि यह व्यवस्था पहले से भी थी लेकिन अब स्वास्थ्य विभाग इसे सख़्ती से लागू करने की तैयारी कर रहा है. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव शशांक शेखर सिन्हा ने सभी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्राचार्य और अधीक्षक को पत्र भेजा है.
इस पत्र में कहा गया है कि नेशनल मेडिकल काउंसिल(NMC) की ओर से चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति शत प्रतिशत दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया है. इसके तहत सभी फैकल्टी,सीनियर रेजिडेंट,ट्यूटर और चिकित्सकों की 75% उपस्थित बायोमेट्रिक के जरिए अनिवार्य कर दी गई है.
इस पत्र में यह भी कहा गया है कि अब इन सभी का वेतन बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही दी जाएगी. बायोमेट्रिक उपस्थिति को लागू करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और अस्पताल के अधीक्षक की होगी. इसमें कोताही बरते जाने पर संबंधित सभी लोगों पर स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई कर सकती है.
बताते चलें कि अभी राज्य के अधिकांश मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर एवं डॉक्टर के समय से उपस्थित को लेकर कई तरह की शिकायतें मिलते रहती है. कई प्रोफेसर रोजाना मेडिकल कॉलेज आते भी नहीं है, वहीं कई डॉक्टर काफी विलंब से अस्पताल आते हैं जिसकी वजह से मरीज को काफी परेशानी होती है. कई बार इलाज में देरी की वजह से मरीज की मौत भी हो जाती है, इसके बाद अस्पताल में कई बार मरीज के परिजनों द्वारा हंगामा भी किया जाता है. सरकार की तरफ से कई बार डॉक्टरों की उपस्थिति के लिए प्रयास भी किया गया है लेकिन अभी भी वह नाकाबिल साबित हुआ है. अब स्वास्थ्य विभाग ने बायोमेट्रिक के जरिए उपस्थिति को अनिवार्य किया है. इससे स्वास्थ्य विभाग को उम्मीद है कि मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और अस्पताल में चिकित्सकों की उपस्थिति पर सकारात्मक असर होगा.