आखिरकार तमाम सियासी गहमागहमी के बीच एनडीए में सीटों का बंटवारा हो ही गया. जिसको लेकर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे थे, जिस पर हर किसी की निगाहें टिकी हुई थी, वह आखिरकार पूरा हुआ और बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा हो ही गया. लेकिन, यहां पशुपति पारस के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी गुट को बड़ा झटका लगा है. बिहार एनडीए में उन्हें एक भी सीट नहीं दी गई है. लेकिन, पशुपति पारस के भतीजे चिराग पासवान की लोक जनशक्ति (रामविलास) पार्टी को 5 सीटें देकर महत्व दिया गया है. बता दें कि, लोजपा (रामविलास) वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई से चुनाव लड़ेगी. सीटों की सूची जारी होने के बाद पशुपति पारस के अगले कदम को लेकर अटकलें तेज हैं.
पार्टी के अस्तित्व पर आई बात...
कई तरह के सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं कि, अब पशुपति पारस का अगला कदम क्या होगा, आखिर पशुपति पारस का 'प्लान बी' है क्या ? ऐसे तो माना जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस जल्द ही मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे सकते हैं. बताया जा रहा है कि पशुपति पारस इस बात से भी नाराज है कि सीट शेयरिंग की घोषणा के पहले उनसे बात तक नहीं की गई. इधर, सूत्रों की खबर को माने तो, पशुपति पारस पार्टी के नेताओं से बात कर इस्तीफे पर एक हफ्ते के अंदर फैसला ले सकते हैं. दरअसल, बीजेपी महासचिव और बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने सीट बंटवारे की घोषणा की. सीट बंटवारे को लेकर हुए समझौते के तहत, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा गया सीट से चुनाव लड़ेगी. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक मोर्चा को कारकट सीट दी गई है.
ऐसे हुआ सीटों का बंटवारा
वहीं पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर, बेगूसराय, नवादा, पटनासाहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर और सासाराम से बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. जबकि वाल्मीकिनगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद और शिवहर से जदयू के उम्मीदवार मैदान में होंगे. वहीं, बात कर लें पशुपति पारस के 'प्लान बी' की तो, शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा था कि, वह हाजीपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी पार्टी के अन्य सांसद उन सीट से चुनाव लड़ेंगे, जहां से वे 2019 के लोकसभा चुनाव में विजयी हुए थे. इसके साथ ही पशुपति पारस ने अपने 'बी प्लान' की ओर इशारा कर दिया था, अगर उनकी पार्टी को उचित सम्मान नहीं मिला तो वह एनडीए से बाहर निकल सकते हैं.
'प्लान बी' हो चुका है एक्टिवेट
बता दें कि, साफ तौर पर उन्होंने कहा था कि, उनकी पार्टी कहीं भी जाने को ‘स्वतंत्र’ हैं और उनके ‘दरवाजे खुले हुए हैं’. उन्होंने कहा था कि वह बिहार में एनडीए के आधिकारिक सीट बंटवारे की घोषणा का इंतजार करेंगे. उसके बाद ही कोई कोई निर्णय लेंगे. ऐसे में अब जब बिहार एनडीए में सीटों का बंटवारा हो गया है तो पशुपति पारस अपना अगला कदम उठा सकते हैं. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक यह भी कहा जा रहा कि, टिकट बंटवारे से पहले ही एनडीए में चिराग पासवान को मिल रही तबज्जो के चलते पशुपति पारस ने अपना प्लान 'बी' एक्टिवेट कर दिया था. राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी को उम्मीद थी कि एनडीए में इस बार उन्हें सीट नहीं मिलेंगी.
क्या लालू से बढेगी नजदीकियां ?
वहीं सूत्रों की माने तो, पशुपति पारस, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के संपर्क में है. एनडीए में सीट नहीं मिलने के बाद आरजेडी ने उन्हें तीन सीटों का ऑफर दे दिया है. आरजेडी की ओर से पशुपति पारस को हाजीपुर, नवादा के अलावा एक सीट और ऑफर की गई है. बता दें, हाजीपुर सीट से ही पशुपति पारस सांसद है. वो पहले ही इस सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. इधर, सीट बंटवारे की घोषणा के बाद दिल्ली में पशुपति पारस के आवास पर देर शाम तक आरलोजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई. खबर है कि, इस बैठक में महागठबंधन में शामिल होने के विकल्प पर ही चर्चा हुई. इसमें पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, सांसद चंदन सिंह और सांसद प्रिंस राज समेत अन्य नेता मौजूद थे. इससे पहले ही पशुपति पारस ने साफ कर दिया था कि, वे एनडीए में सीट शेयरिंग की घोषणा तक इंतजार करेंगे. अब पार्टी के पास एकमात्र विकल्प मचा है. पार्टी के लिए अस्तित्व का सवाल है. जल्द ही अगली रणनीति का खुलासा करेंगे.