New Delhi : शारदीय नवरात्रि का आज दूसरा दिन है। आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार माता इस रूप में सफेद वस्त्र पहनती हैं। उनके दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तप, वैराग्य की देवी कहा जाता है। उनकी पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। जीवन में सफलता मिलती है। मां ब्रह्मचारिणी को चीनी, मिश्री या पंचामृत का भोग लगाया जाता है। इनकी पूजा में चमेली के फूल चढ़ाए जाते हैं।
भोले बाबा को पति के रूप में पाना चाहती थीं
मान्यताओं की मानें तो मां ब्रह्मचारिणी ने पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था। वह भगवान शंकर को पति के रूप में पाना चाहती थीं। उन्होंने अपनी इच्छा नारद मुनि को बताई थी। तब नारद जी ने उन्हें तपस्या करने की सलाह दी। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी ने वर्षों तक फल खाकर तपस्या की। उन्होंने 10 वर्षों तक जमीन पर बैठकर तप किया। इस कठोर तप के कारण ही उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम मिला। उनके निराहार रहकर तपस्या करने से देव प्रसन्न हुए और मनोकामना पूर्ति का वरदान दिया।
मंत्रों का करें जाप
मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद पाने के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन विधि-विधान से उनकी पूजा करें। उस दौरान इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। वंदे वांछित लाभायचंद्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमंडलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्। गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम। धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन। पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितंबनीम्॥