अपने देश वापस लौटने के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शनिवार को भारत के साथ ‘अच्छे संबंध’ कायम करने की कसम खाई और कहा कि इस्लामाबाद ‘कश्मीर मुद्दे’ को शालीनता से हल करना चाहता है. 73 साल के पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सुप्रीमो ने ब्रिटेन में चार साल का आत्म-निर्वासन खत्म कर देश लौटने के तुरंत बाद शनिवार शाम लाहौर के मीनार-ए-पाकिस्तान में अपनी पहली रैली को संबोधित किया. इस मौके पर शरीफ ने कहा कि ‘हम एक आजाद और व्यापक विदेश नीति चाहते हैं. हम दुनिया के साथ भलाई और समानता का व्यवहार करना चाहते हैं. हम पड़ोसी देशों के साथ दोस्ताना संबंध कायम करके पाकिस्तान को एक आर्थिक शक्ति बनाना चाहते हैं. दूसरों से लड़कर या संघर्ष करके पाकिस्तान का विकास नहीं किया जा सकता. मैं बदले में नहीं विकास में भरोसा रखता हूं.’
नवाज शरीफ ने कहा कि ‘अगर पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) अलग नहीं हुआ होता, तो भारत से होकर गुजरने वाला एक आर्थिक गलियारा होता. हम पाकिस्तान के विकास के लिए पड़ोसियों और दुनिया के साथ बेहतर संबंध कायम करना चाहते हैं. पाकिस्तान की खातिर, सभी राजनीतिक संस्थाओं और संगठनों (सेना और न्यायपालिका) को संविधान का सच्ची भावना से पालन करना होगा.’ रैली के दौरान नवाज शरीफ भावुक दिखे और उन्होंने बताया कि कैद के दौरान उन्हें अपनी मां और पत्नी की मौत की खबर का सामना कैसे करना पड़ा. लगभग रुंधी आवाज में शरीफ ने कहा कि उन्होंने अपनी मां और पत्नी को ‘राजनीति के कारण’ से खो दिया है और याद किया कि कैसे वह अपनी मां, पिता या पत्नी को अंतिम विदाई का सम्मान नहीं दे सके.
गौरतलब है कि नवाज शरीफ की पत्नी की 2018 में 70 साल की उम्र में लंदन में मौत हो गई, जबकि उस वक्त नवाज शरीफ और बेटी मरियम दोनों भ्रष्टाचार के मामलों में पाकिस्तान में जेल की सजा काट रहे थे. इससे पहले पिछले चार साल लंदन में बिताने वाले शरीफ शनिवार दोपहर में दुबई से इस्लामाबाद पहुंचे. अपनी जमानत के बारे में कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद वह पंजाब प्रांत में पीएमएल-एन के गढ़ लाहौर के लिए रवाना हुए.
नवाज जो अच्छे रिश्तों की बात कर रहे हैं, उनके कार्यकाल में भारत को सबसे बड़ा धोखा झेलना पड़ा था. सन् 1999 में कारगिल की जंग हुई थी जबकि उसी साल भारत से लाहौर तक एक बस चलाई गई थी.