बिहार सरकार ने एक बहुत बड़ा बदलाव किया है. यह बदलाव पंचायती व्यवस्था से जुड़ा हुआ है. इसके तहत उन मुखिया की परेशानी बढ़ने वाली है जो अपने पंचायत से लगातार महीनों-महीनों तक गायब रहते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो अब मुखिया जो अपना काम छोड़ कर अधिक दिनों तक घूमते थे, अब उन्हें यह छूट नहीं मिलेगी और न ही अब वो सिर्फ चुनाव के समय ही दर्शन देंगे. अब उनको हर दिन अपने पंचायत में रहना होगा और आम लोगों की समस्या सुनकर निपटारा करना होगा.
दरअसल, पंचायती राज विभाग ने यह आदेश पारित किया है कि ग्राम पंचायतों में अब मुखिया अगर 30 दिन तक गैर हाजिर रहे तो उनकी जगह दूसरे को मुखिया बना दिया जाएगा. किसी भी कारण से अगर मुखिया 30 दिनों से अधिक समय तक पंचायत से अनुपस्थित रहे तो उनके बदले उपमुखिया स्वत: कार्यभार संभाल लेंगे. इससे पहले यह अवधि 60 दिनों की थी. इस बाबत पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह की ओर से आदेश जारी किया गया है.
अपर मुख्य सचिव की तरफ से सभी जिला पदाधिकारी एवं जिला पंचायती राज पदाधिकारी को इस संबंध में पत्र भेजा गया है. इसमें कहा गया है कि चूंकि मुखिया ग्राम पंचायत के मतदाताओं द्वारा सीधे निर्वाचित होते हैं और ग्राम पंचायत की कार्यपालिका एवं वित्तीय प्रशासन की जिम्मेवारी मुखिया के पास होती है, इसलिए यह पद महत्वपूर्ण है. ऐसी स्थिति में अब तय किया है कि 31वें दिन उपमुखिया-मुखिया का स्वत: प्रभार ग्रहण कर लेगा.
इसके आगे उन्होंने कहा है कि कार्यपालक पदाधिकारी जिला पंचायती राज पदाधिकारी को इसकी सूचना देंगे. इसके बाद जिला पंचायती राज पदाधिकारी उपमुखिया के वित्तीय लेन-देन के लिए डोंगल बनाएंगे. अगर कोई आरोपित मुखिया फरार हो और जमानत लेकर 30 दिनों के भीतर वापस आ जाए तो उसे फरार नहीं माना जाएगा. उपमुखिया तभी तक दायित्व का निर्वहन करेंगे जब तक मुखिया वापस काम शुरू न कर दे. मुखिया के काम शुरू करते ही उपमुखिया के अधिकार स्वत: समाप्त हो जाएंगे.