पुरुष हॉकी सेमीफाइनल मुकाबले में भारत को जर्मनी के खिलाफ 3-2 से हार झेलनी पड़ी है. इसी के साथ टीम इंडिया का 44 सालों के लंबे इंतज़ार के बाद गोल्ड मेडल जीतने का सपना अधूरा रह गया है. आखिरी क्वार्टर में भारत गोलकीपर को सब्स्टिट्यूट करके 12 खिलाड़ियों के साथ खेला, लेकिन जर्मनी के साथ स्कोर लेवल नहीं कर सका. आखिरी क्षणों में शमशेर को बहुत बढ़िया शॉट मिला था, लेकिन वो गेंद को नेट के अंदर नहीं डाल पाए. टीम इंडिया अब भी बाहर नहीं हुई है क्योंकि 8 अगस्त को उसका ब्रॉन्ज मेडल के लिए मैच होगा.
पहले क्वार्टर में भारत ने 1-0 की बढ़त बना ली थी, लेकिन दूसरे क्वार्टर में जर्मनी ने लाजवाब प्रदर्शन करके 15 मिनट के भीतर 2 गोल दागे. भारतीय टीम को खूब सारे पेनल्टी कॉर्नर मिल रहे थे, लेकिन उन्हें गोल में तब्दील ना कर पाना टीम के लिए मुसीबत का सबब बना रहा है. तीसरे क्वार्टर में आखिरकार कप्तान हरमनप्रीत सिंह पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील करके 2-2 से मैच को बराबरी पर लेकर आए. चौथे और आखिरी क्वार्टर में जर्मनी ने आक्रामक खेल दिखाया. नतीजन जर्मनी ने मैच के 54वें मिनट में अपना तीसरा गोल दागा. भारत ने यहां तक कि अंतिम मिनटों में गोलकीपर पीआर श्रीजेश को सब्स्टिट्यूट करके 12वां खिलाड़ी मैदान में उतार दिया था. इसके बावजूद भारत की सभी कोशिशें नाकाम रहीं.
भारत के पास मौका था कि वो 1980 के बाद पहली बार हॉकी के फाइनल में पहुंचे. भारत, 1980 ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीता था, लेकिन उस जीत को 44 साल बीत चुके हैं लेकिन टीम इंडिया कभी ओलंपिक खेलों के फाइनल में प्रवेश नहीं कर सकी है. खैर गोल्ड मेडल की उम्मीद इस बार भी खत्म हो गई है, लेकिन भारत के पास अब भी ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका है. ओलंपिक्स में भारत के सबसे ज्यादा मेडल अब तक हॉकी में ही आए हैं. आज तक भारत हॉकी में 8 गोल्ड, 1 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज समेत 12 मेडल जीत चुका है और अब टीम के पास मौका होगा कि वह इस संख्या को 13 मेडल तक पहुंचाए.