बिहार में शिक्षा व्यवस्था मानो पूरी तरह चौपट हो गई है. पिछले कुछ दिनों में एक पर एक कारनामे उजागर हुए हैं. इस बीच एक और कारनामा सामने आया है, जिसके बाद पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के खिलाफ बड़ा एक्शन ले लिया है. दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पर बड़ी लापरवाही का आरोप लगाया है. जिसके कारण छात्रा का दो शैक्षणिक वर्ष बर्बाद हो गया. बता दें कि, इस पूरे मामले में पटना हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने सुनवाई की और फैसला सुनाया.
वहीं, ये क्या कुछ पूरा मामला है, हम आपको विस्तार से बताते हैं... याचिकाकर्ता का नाम मनोज कुमार है. जिसकी बेटी ने 2017 में ही बिहार बोर्ड मैट्रिक की परीक्षा दी थी. लेकिन, जब परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया तब उसे फेल कर दिया है. संस्कृत विषय में उसे केवल 3 अंक ही दिए गए थे. जिसके बाद छात्रा सदमे में आ गई और कड़ा निर्णय लेते हुए अपनी पढ़ाई ही छोड़ दी. ऐसा होता देख याचिकाकर्ता मनोज यादव ने सूचना के अधिकार के तहत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से पूरे मामले में जानकारी मांगी. जिसके बाद करीब डेढ़ साल के बाद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से यह जानकारी दी गई कि, छात्रा को 3 नहीं बल्कि 77 अंक मिले थे.
लेकिन, मार्कशीट में 3 अंक दिखाए गए. यह जानकारी मिलने के बाद मनोज कुमार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे पूरी तरह से बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की लापरवाही बताई. साथ ही नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण छात्रा का दो शैक्षणिक वर्ष बर्बाद हो गया. पटना हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि, पूरे मामले की जांच की जाये और जो भी अधिकारी इसमें दोषी हैं उनसे जुर्माने के रूप में 2 लाख की राशि वसूल की जाये. इसके साथ ही पटना हाईकोर्ट ने 25 हजार रुपये बतौर मुकदमा खर्च भी देने का आदेश दिया है.