Patna Stadium : राजधानी पटना को अंतरराष्ट्रीय खेल मानचित्र पर एक नई पहचान अब मिलने वाली है। मोइनुल-हक स्टेडियम ( Moinul-Haq Stadium ) का नवनिर्माण अगस्त 2025 तक शुरू किया जाएगा। करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस नए स्टेडियम का निर्माण कार्य अगले तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। आपको बता दें कि, निर्माण प्रक्रिया की टेंडरिंग लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। नवनिर्माण के बाद यह स्टेडियम गुजरात के नरेंद्र मोदी स्टेडियम ( Narendra Modi Stadium ) के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा स्टेडियम माना जाएगा। इस भव्य स्टेडियम की दर्शक क्षमता 40 हजार होगी। यहां आईसीसी ( ICC ) और बीसीसीआई ( BCCI ) के सभी मानकों के अनुरूप अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके अलावा, स्टेडियम परिसर को बहुउद्देशीय बनाया जाएगा। जिससे यह केवल एक खेल मैदान नहीं बल्कि एक पूर्ण स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ( Sports Complex ) बनकर लोगों के बीच उभरेगा।
वहीं परिसर में दो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैदान बनाए जाएंगे। इतनी ही नहीं खिलाड़ियों की सुविधा के लिए जिम, स्पा, दो पूरी तरह से सुसज्जित ड्रेसिंग रूम, इनडोर प्रैक्टिस एरिया, प्रैक्टिस नेट, वीडियो विश्लेषण सुविधा, सेमिनार हॉल, बोर्ड रूम और एक फाइव स्टार होटल भी बनाई जाएगी। साथ ही, बैडमिंटन और वॉलीबॉल कोर्ट, हॉस्टल, रेस्टोरेंट और क्लब हाउस जैसी अन्य सुविधाएं भी मौजूद होंगी। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ( Bihar Cricket Association ) के अध्यक्ष राकेश तिवारी ने दावा किया कि, स्टेडियम के पूरी तरह बन जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ( International Cricket ) मैचों के अलावा आईपीएल ( IPL ) जैसे बड़े टूर्नामेंट भी यहां आयोजित किए जाएंगे। इसके रखरखाव पर हर साल लगभग 20 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान बताया जा रहा है।
इस स्टेडियम का नाम सैयद मुहम्मद मोइन-उल-हक ( Syed Muhammad Moin-ul-Haq ) के नाम पर रखा गया है। जो एक प्रसिद्ध भारतीय शिक्षाविद् और खेल प्रशासक थे। वे 1935 से 1953 तक बिहार नेशनल कॉलेज ( Bihar National College ) के प्रिंसिपल रहे और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ( All India Football Federation ) के पहले अध्यक्ष भी थे। उन्हें 1970 में पद्म श्री ( Padma Shri ) से सम्मानित किया गया था। मोइन-उल-हक बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ( Moin-ul-Haq Bihar Cricket Association ) के संस्थापक उपाध्यक्ष भी रहे। जिसकी स्थापना जमशेदपुर में एक ऐतिहासिक बैठक के बाद की गई थी।