पटना कॉलेज में बीते 13 जुलाई को हुए मारपीट, गोलीबारी और बम बाजी की घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने आनन-फानन में बिना दोषियों को चिन्हित किए ही पटना कॉलेज के सभी हॉस्टल को 24 घंटे के अंदर खाली करने का आदेश दे दिया. 24 घंटा पूरा हुआ जबरन छात्रों को हॉस्टल से बाहर निकालकर हॉस्टल सील कर दिया गया. अब विभिन्न हॉस्टलों के सैकड़ों छात्र पूरी रात विश्वविद्यालय से सटे गंगा की घाटों पर गुजार रहे हैं.
स्ट्रीट लाइट में कर रहे पढ़ाई
छात्र प्लास्टिक और पेपर की व्यवस्था कर उसे घाट की सीढ़ियों पर बिछा रहे हैं और स्ट्रीट लाइट की रोशनी में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं. यहीं पूरी रात सो भी रहे हैं और अगले दिन कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिन भर आशियाने की तलाश में समय व्यतीत कर रहे हैं. महीना का मध्य चल रहा है. कहीं भी आसानी से रूम नहीं मिल रहा है. कहीं रूम मिल भी रहा है तो भाड़ा अधिक है.
हॉस्टल में ही बंद है छात्रों का सामान
अधिकांश छात्र ऐसे हैं, जिनका किताब, कॉपी, कपड़ा रुपया इत्यादि तमाम चीजें हॉस्टल के कमरे में सील बंद है और जेब में बचा खुचा रुपया भी खत्म है. छात्र अब मुफलिसी की मार से परेशान हैं. पटना के कृष्णा घाट पर मंगलवार देर रात को खाली कराए गए मिंटो हॉस्टल के छात्रों का एक ग्रुप दिखा. गंगा घाट के सौंदर्यीकरण के लिए लगाए गए स्ट्रीट लाइटों के नीचे यह ग्रुप जमीन पर ही प्लास्टिक बिछा कर किताब खोल कर पढ़ाई करते हुए नजर आया.
पढ़ाई डिस्टर्ब होने से छात्र परेशान
ग्रुप के बच्चों ने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई भी शुरू हो गई है. दिनभर आशियाने की तलाश के कारण पढ़ाई काफी पीछे छूट रहा है. बड़ी उम्मीद से पटना कॉलेज में पढ़ने आए थे. गर्व था उन्हें पटना कॉलेज में पढ़ते हैं और आज स्थिति ऐसी आ गई है कि खानाबदोश की जिंदगी हो गई है. 2 दिन से कोई नहाया नहीं है. क्योंकि किसी के पास आशियाना नहीं है. अपनी पढ़ाई भी पूरी करनी है. इसलिए रात में स्ट्रीट लाइट की रोशनी में ही जितनी पढ़ाई संभव हो पा रही है, वह कर रहे हैं.
छात्रों का कहना है कि "करे कोई और भरे कोई. यही व्यवस्था पटना विश्वविद्यालय की बन गई है. 13 तारीख को मारपीट की घटना हुई. जिसमें बाहर के असामाजिक तत्व शामिल थे. उनके हॉस्टल का कोई नहीं था और बिना किसी जांच के 24 घंटे के भीतर जबरन हॉस्टल खाली करा दिया गया. इसके बाद से हम लोग बेघर हो गए हैं. आज लगातार दूसरी रात गंगा घाट पर बिताने के लिए विवश हैं."
इतना आनन-फानन में हॉस्टल खाली कराया गया कि कुछ समझ में नहीं आया. हम लोग दूर-दराज इलाके से पटना कॉलेज में पढ़ने आए हुए हैं और पटना में अधिक परिचित नहीं हैं. अधिक जान पहचान भी नहीं है. अधिक पटना घूमे भी नहीं हैं. ऐसे में रहने के लिए कमरा ढूंढने में काफी परेशानी हो रही है. इतना जल्दी हमें कोई कमरा दे भी नहीं रहा है."
प्रशासन ने हॉस्टल बंद कर किया सील
छात्रों ने बताया कि कॉलेज से क्लास करके सोमवार को जब हॉस्टल पहुंचे तो जबरन उन लोगों को हॉस्टल से बाहर निकाल दिया गया. कमरे में ताला बंद करके सील लगा दिया गया. ऐसे में अब वह कहां जाएं समझ में भी नहीं आ रहा. घर से जो रुपया आता है, वह हॉस्टल के कमरे में ही है. किताब कॉपी कपड़ा सब कुछ कमरे में बंद है. जेब में कुछ पैसे थे, वह भी लगभग खत्म हो गए हैं. ऐसे में यदि वह कमरा ढूंढ भी लेते हैं तो उसका पैसा कहां से देंगे और कमरे में लेकर क्या जाएंगे."सब कुछ हॉस्टल में ही बंद है. मजबूरी है गंगा घाट पर ही समय बिताना पड़ रहा है. हॉस्टल में रहने के कारण बाहरी लड़कों से वैसी दोस्ती भी नहीं है कि कोई अपने घर पर बुला कर रख ले."
आपको बता दें कि छोटे-छोटे गांव कस्बों से, दूरदराज इलाके से बच्चे बड़ी उम्मीदों से पटना विश्वविद्यालय में आते हैं और उन्हें उम्मीद रहती है कि यहां से उनका भविष्य सुधर जाएगा. दाखिला लेने में भी मेधा की महत्ता होती है. मेधावी छात्रों को हीं पटना कॉलेज में दाखिला मिल पाता है. दाखिला मिलने के बाद बच्चे बड़े गर्व से कहते हैं कि वह पटना कॉलेज और पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हैं. लेकिन यही छात्र आज गंगा घाट पर पूरी रात सोने और रहने के लिए मजबूर हैं.