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वर्षों पुराने पेड़ को काटने पर भड़का लोगों का आक्रोश, जिला प्रशासन से की शिकायत

People's anger over cutting of years old tree, complaint to

सुपौल जिले के प्राचीन शिव मंदिरों में शुमार सुखपुर का तिलहेश्वर शिव मंदिर इन दिनों सुर्खियों में है. मालूम हो कि लोगों की आस्था से जुड़े इस शिव मंदिर में हर दिन दूर दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालू पहुंचकर बाबा तिलहेश्वर को जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं. मंदिर के सामने ही एक बड़ा-सा पोखर भी अवस्थित है. स्थानीय लोग कहते हैं कि मंदिर के सामने अवस्थित पोखर के महाड़ पर लगे सैकड़ों साल पुराने पीपल और पाखड़ के पेड़ को काट दिया गया है. इसके अलावा महाड़ पर लगे कई और पेड़ भी काटे गए हैं. इस बात को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है. 

चूंकि वो पेड़ लोगों की आस्था से जुड़ी रही है और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से लाभदायक था. लिहाजा इस तरह के कार्य से लोग आहत हैं. इस बाबत तिलहेश्वर मंदिर न्यास समिति के पूर्व अध्यक्ष और सचिव ने कहा कि, इसके पीछे गांव के ही कुछ ऐसे लोगों का हाथ है, जो मंदिर की जमीन को हथियाना चाहते हैं. कहा कि, पोखर जीर्णोद्धार के नाम पर न सिर्फ लोगों के आस्था से जुड़े सैकड़ों वर्ष पुराने पीपल और पाखड़ के पेड़ को काटा गया है बल्कि पोखर के महाड़ पर लगे कई पेड़ों को काटकर हटा दिया गया है. इस बात को लेकर उन्होंने जिला प्रशासन से अविलंब पहल की मांग करते हुए, इसमें जो भी दोषी हैं उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की है. 

उन्होंने कहा कि, जो दोनों पुराने पेड़ काटे गए हैं वो पेड़ मंदिर से जुड़ा हुआ था. भीषण गर्मी में न सिर्फ ये पेड़ लोगों को ठंडी हवा और छांव देती थी बल्कि लोग दवा के रूप में भी पाखड़ के पत्ते और टहनियों का उपयोग किया करते थे. यहां तक कि मंदिर पहुंचने वाले तमाम श्रद्धालु इसी पेड़ के नीचे आराम भी करते थे. लेकिन, इस पेड़ के कट जाने से अब लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी ये पेड़ काफी अनुकूल था. ऐसे में पेड़ काटने वाले लोग जहां श्रद्धांलूओं की भावना से खेलने का काम किया है वहीं पर्यावरण को भी क्षति पहुंचाया है. ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए कि त्वरित रूप से इस मामले की जांच कर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करें, ताकि लोगों का आक्रोश शांत हो.

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