किडनी शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने से लेकर खून को साफ करने का भी काम किडनी ही करती है इसलिए किडनी का सही तरीके से काम करना काफी जरूरी होता है. जिन लोगों की किडनी सही से काम नहीं करती या फेल हो जाती है, उन लोगों का किडनी ट्रांसप्लांट किया जाता है.
नेशनल किडनी फाउंडेशन के अनुसार, अमेरिका में लगभग 40 मिलियन लोगों को किडनी बीमारी है और ट्रांसप्लांट के इंतजार में हर दिन 17 लोग मर जाते हैं.
किडनी ट्रांसप्लांट के मामले में हाल ही में अजीब मामला सामने आया है. दरअसल, डॉक्टर्स ने एक व्यक्ति को सूअर की किडनी लगाई गई है और वह अच्छे से काम भी कर रही है. डॉक्टर्स का मानना है कि अगर किडनी ने सही से काम किया तो दुनिया एनिमल-ह्यूमन ट्रांसप्लांट के और करीब आ जाएगी. एनवाईयू लैंगोन हेल्थ के सर्जनों ने इस सर्जरी को 14 जुलाई 2023 को किया था. उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि सितंबर के मध्य तक वे लोग इसकी मॉनिटरिंग करेंगे.
ब्रेन डेड शरीर में किया प्रत्यारोपण
डेली मेल के मुताबिक, सूअर की किडनी का प्रत्यारोपण हुए एक महीने से अधिक समय हो गया है और किडनी पूरी तरह से काम कर रही है. किडनी ट्रांसप्लांट 57 साल के मौरिस 'मो' मिलर पर किया गया है जिनका ब्रेन डेड हो चुका है. न्यूरोलॉजिकल मानदंडों के अनुसार मौरिस को मृत घोषित कर दिया गया था और लेकिन उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था, जिससे उनका दिल धड़क रहा था.
पहले सिर्फ 72 घंटे जिंदा रहा था मरीज
डॉक्टर्स का कहना है कि सालों की असफलता के बाद सफलता मिलने जा रही है. पिछली कोशिश में सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट से सिर्फ 72 घंटे ही शख्स जिंदा रहा था.
सर्जन डॉ. रॉबर्ट मोंटगोमरी ने कहा, 'हर किसी के लिए पर्याप्त किडनी उपलब्ध नहीं हैं जिनकी आज के समय में काफी आवश्यकता है. किडनी उपलब्ध ना होने के कारण काफी सारे लोग मर रहे हैं और मेरा विश्वास है कि मानव में किसी अन्य जीव के ऊतक या अंगों लगाने (जेनोट्रांसप्लांटेशन) से काफी मदद मिलेगी. मैंने हजारों किडनी ट्रांसप्लांट किए हैं लेकिन सिर्फ इंसानी किडनी को ही इंसानी शरीर में लगाया है. अगर यह ट्रांसप्लांट सफल होता है तो भविष्य के लिए काफी उम्मीद हो सकती है.'
10 जीन में किए गए बदलाव
इस ट्रांसप्लांट में सूअरों के चार जीनों को किडनी से निकाल दिया जो पहले सफल क्रॉस-प्रजाति प्रत्यारोपण में बाधा साबित हुए थे. साथ ही सूअर की किडनी इंसानों जैसी लगे, इसके लिए उसमें छह इंसानी जीन भी डाले गए यानी कि कुल मिलाकर 10 जीनों को मोडिफाइड किया गया था ताकि किडनी इंसान में लगाई जा सके.
ऐसे हुआ था ट्रांसप्लांट
14 जुलाई 2023 को ट्रांसप्लांट की प्रोसेस शुरू हुई थी जिसमें डॉ. एडम ग्रिसेमर और जेफरी स्टर्न वर्जीनिया (अमेरिका) स्थित रिवाइवर हाउस पहुंचे जहां पर पहले सूअर की किडनी को आनुवंशिक रूप से बदलकर उसमें से एक जीन को हटाया गया क्योंकि वह जीन इंसान की इम्यूनिटी पर हमला करता है.
इसके बाद टीम न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुई और मौरिस की किडनी निकालने के बाद उसके शरीर में सूअर की किडनी लगाने की प्रोसेस शुरू हो गई. ट्रांसप्लांट को एक महीने से अधिक समय हो गया है और किडनी अच्छे से काम कर रही है. डॉक्टर्स की टीम अगले महीने तक इसकी मॉनिटरिंग करेगी और आगे का अपडेट देगी.