Join Us On WhatsApp
BISTRO57

मंत्रियों की संख्या और विभाग के आवंटन में PM मोदी ने दे दिया मैसेज,उनके सामने दबाव की राजनीति नहीं चलेगी..

PM Modi gave a message to his allies through the allocation

Desk- 2024 के लोकसभा चुनाव में जब पीएम मोदी के 400 पर के नारे को गहरा झटका लगा और भाजपा अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा भी नहीं छु पाई तो फिर भाजपा समेत एनडीए के घटक दलों के बीच एक तरह से सन्नाटा छा गया था और इंडिया गठबंधन जो बहुमत से काफी दूर था वह जीत की जश्न मनाने लगा था. इंडिया गठबंधन की तरफ से बीजेपी के दो सबसे बड़े सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड को अपने पाला में लाने के लिए अंदरुनी प्रयास भी की है पर चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार बीजेपी की एनडीए के साथ ही रहना मुनासिब समझा.

 एनडीए की संसदीय दल की बैठक में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की और कहा कि उनके नेतृत्व में देश आगे बढ़ेगा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि इस 5 साल में अब कोई काम नहीं बचेगा बिहार के भी मुद्दा का समाधान हो जाएगा. उन्हें उम्मीद थी कि बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी तारीफ से वाजपेई जी के कार्यकाल की तरह ही जदयू को पूरा सम्मान मिलेगा.उनके कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या और पोर्टफोलियो पर मोदी विशेष ध्यान देगें . 

एनडीए संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सभी सहयोगियों दलों का उचित सम्मान भी किया. मुख्य मंच पर सभी घटक दलों के नेताओं के लिए बैठने का इंतजाम किया जबकि अपने बीजेपी के मुख्यमंत्री स्तर के नेता को समूह में बैठने का इंतजाम किया गया. इससे सहयोगी दलों को लगा कि भाजपा ने बदलती हुई परिस्थिति के अनुसार खुद को डालने की कोशिश शुरू कर दी है, और उन्हें अब एनडीए सरकार में मनमानी मंत्री पद और मलाईदार विभाग मिल सकता है और गठबंधन की राजनीति की तहत हुए दबाव की राजनीति कर सकते हैं. इसको लेकर परोक्ष रूप से मंत्रालय के नाम भी उछाले गए. चंद्रबाबू नायडू की TDP  और नीतीश कुमार की जदयू की तरफ से कई अहम विभाग की डिमांड होने लगी, जिस पर बीजेपी की तरफ से तो किसी तरह की बात नहीं कही गई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही कहा कि सहयोगी दलों और सभी पार्टी के सांसदों को टीवी की ब्रेकिंग न्यूज़ पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए. ब्रेकिंग न्यूज़ के आधार पर सरकार नहीं चलती है, मंत्रियों की संख्या और विभाग को लेकर हम और एनडीए घटक दल के नेता निर्णय लेने में सक्षम हैं.

 पर एनडीए संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पुराने लय में लौट गए. मंत्रियों की संख्या और विभागों को लेकर उन्होंने किसी भी सहयोगी दल की  डिमांड को पूरा नहीं किया. एनडीए की दोनों बड़ी सहयोगी TDP और जदयू को एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का पद दिया, वहीं किसी को मुंहमांगी विभाग भी नहीं दी. बिहार में बीजेपी के 17 में से 12 सांसद चुने गए और यहां से चार सांसदों को मंत्री बनाया गया जबकि इसी बिहार से जनता दल यूनाइटेड के 16 में से 12 सांसद चुने गए और उन्हें सिर्फ दो मंत्री पद दिया गया. महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे गुट को 7 सांसद रहने के बावजूद एक स्वतंत्र प्रभार का मंत्री पद दिया गया जबकि अजीत पवार की पार्टी कैबिनेट पद नहीं मिलने की वजह से मंत्रिमंडल में शामिल ही नहीं हो पाई. मिला -जुला कर चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया लेकिन उनको भी मुंह मांगी विभाग नहीं मिले.

 लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद इंडिया गठबंधन के नेता लगातार यह कहते आ रहे थे कि तीसरे कार्यकाल में मोदी की सरकार नायडू और नीतीश कुमार की बैसाखी पर टिकी हुई है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से मंत्रियों की संख्या तय की और फिर विभागों का बंटवारा किया. सभी महत्वपूर्ण विभाग अपने ही पास रखें, उसे सहयोगी दल में यह मैसेज चला गया है कि मोदी अपने पुराने तौर तरीके पर ही काम करेंगे. यही वजह है कि किसी भी सहयोगी दल के नेताओं सवाल उठाने के बजाय कामकाज में लग गयए . भाजपा के साथ ही सहयोगी दल के मंत्री भी विभाग का बटवारा होने के बाद चार्ज लेने के लिए पहुंच गए. जेडीयू कोटे के कैबिनेट मंत्री बने ललन सिंह ने कहा कि विभाग कोई बड़ा या छोटा नहीं होता है, इस बयान का स्पष्ट  अनुमान लगाया जा सकता है,कि वे मोदी सरकार को लेकर क्या सोचते हैं.

 अभी इंडिया गठबंधन के नेता भी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. वे चाहते हैं कि मोदी जी अपने पुराने कार्यशाली के अनुसार काम करते रहें है, जिससे कि  उनके सहयोगियों में नाराजगी बढे.सहयोगी दल कोई बड़ा निर्णय लेने की स्थिति में आए तभी उन्हें कुछ करने का अवसर मिल सकता है..

bistro 57

Scan and join

darsh news whats app qr
Join Us On WhatsApp