भारत ने बुधवार (23 अगस्त) को इतिहास रच दिया. चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी प्रक्रिया देखने के लिए दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग शहर से वचुर्अल माध्यम के जरिए भारतीय अंतरिक्ष केंद्र अनुसंधान (ISRO) केंद्र से जुड़े. इस पर पीएम मोदी ने कहा कि ये देश के लिए गर्व का पल है. पीएम मोदी ने कहा, ''जीवन धन्य हो गया है. ये क्षण जीत के पथ पर चलने का है. ये पल 140 धड़कनों का है आज हर घर में उत्सव शुरू हो गया है. मैं चंद्रयान-3 की टीम और देश के वैज्ञानिकों को बधाई देता हूं.''
उन्होंने आगे कहा कि साइंटिस्ट के परिश्रम से हम उस दक्षिण ध्रुव पर पहुंच गए जहां पर कि कोई नहीं पहुंच पाया है. आज सारे मिथक बदल जाएंगे. हम धरती को मां कहते औऱ चांद को मामा कहते हैं. कभी कहा जाता था चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे चंदा मामा बस एक टूर के हैं. दरअसल, चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग भारत से पहले चीन, अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ कर चुके हैं.
भारत ने रचा इतिहास
लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम बुधवार की शाम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो अब तक किसी भी देश को हासिल नहीं हुई है. भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है.
चंद्रयान-3 अब क्या करेगा?
न्यूज एंजेसी ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर अपने एक साइड पैनल का उपयोग करके लैंडर के अंदर से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, जो रैंप के रूप में कार्य करेगा. उन्होंने बताया कि लैंडिंग के बाद लैंडर को उसमें मौजूद इंजनों के चंद्रमा की सतह के करीब सक्रिय होने के कारण धूल की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.
इसरो के अनुसार, चंद्रमा की सतह और आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर के पास एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन के बराबर) का समय होगा.