Join Us On WhatsApp
BISTRO57

देश की पहली रैपिड रेल नमो भारत का आज PM मोदी करेंगे उद्घाटन, जानिए मेट्रो से कितनी है अलग

PM Modi will inaugurate the country's first rapid rail Namo

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 अक्टूबर यानी कि आज देश की पहली रैपिड रेल 'नमो भारत' का उद्घाटन करेंगे. पीएम मोदी गाजियाबाद से रैपिड रेल को हरी झंडी दिखायेंगे. जिसके बाद आम लोगों के लिए इसका परिचालन 21 अक्टूबर की सुबह छह से रात 11 बजे तक होगा. 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेन हर 15 मिनट में उपलब्ध होगी. प्राथमिक खंड में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो स्टेशन हैं। उद्घाटन के एक दिन बाद लोग रैपिडएक्स ट्रेन में आरामदायक और तेज सफर का आनंद ले सकेंगे.

2025 तक तैयार हो जायेगा कॉरिडोर 

दिल्ली से मेरठ के बीच 82 किलोमीटर लम्बे कॉरिडोर के पहले चरण में यह ट्रेन साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. नमो भारत ट्रेन 2025 तक दिल्ली के सराय काले खां से मेरठ के मदीपुरम स्टेशन के बीच रफ्तार भरती हुई नजर आएगी.

रैपिड रेल में मिलने वाली सुविधाएं 

स्पीड के मामले में रैपिड दोनों तरह की मेट्रो से कहीं आगे है. रैपिड रेल एक घंटे में 180 किलोमीटर की रफ्तार से चलने के लिए डिजाइन की गई है. इस तरह देखा जाए तो पैसेंजर मात्र एक घंटे में दिल्ली से मेरठ पहुंच जाएगा. रैपिड रेल के कोच में कई सुविधाएं मिलती हैं. जैसे- फ्री वाईफाई, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट्स, समान को रखने के लिए स्पेस, इंफोटेनमेंट सिस्टम. मेट्रो में स्मार्ट कार्ड्स, टोकेन, क्यूआर कोड वाले पेपर और ऐप से जनरेट होने वाले टिकट से एंट्री मिलती है. जबकि रैपिड रेल के लिए क्यूआर कोर्ड वाले डिजिटल पेपर और पेपर टिकट का इस्तेमाल होता है.

मेट्रो से कितनी अलग है रैपिड रेल 

मुंबई में चलने वाली मोनो रेल, दिल्ली-एनसीआर की मेट्रो और नमो भारत रैपिड रेल में कई बड़े अंतर हैं. सबसे बड़ा अंतर होता है स्पीड का. मेट्रो एक घंटे में 40 हजार यात्रियों को सफर करा सकती है. मोनो के मुकाबले इसे चलने के लिए अधिक जगह की जरूरत होती है. इसमें आमतौर पर 9 कोच होते हैं. मोनो के मुकाबले यह अधिक स्पीड तय कर सकती है. रैपिड रेल और मेट्रो के बीच सबसे बड़ा अंतर स्पीड का भी होता है. जैसे- दिल्ली-NCR ने चलने वाली मेट्रो 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. जबकि रैपिड रेल को 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से चलने के लिए डिजाइन किया गया है.

मोनो रेल से कितना है अलग 

मोनो रेल को उन रूट पर चलाया जाता है जहां बहुत घनी आबादी है. या जगह की बहुत कमी है. यह कम दूरी के बीच चलती है. जगह कम घेरती है. इसके नाम में मोनो है, जिसका मतलब है, इसके लिए सिर्फ एक ही पटरी होगी. यानी वापसी के लिए उसी ट्रेन का सहारा लेना होगा. जिस तरह दिल्ली-एनसीआर की मेट्रो में दो पटरियां साथ चलती हैं और आने-जाने के लिए अलग-अलग ट्रेन होती हैं, मोनो रेल के मामले में ऐसा नहीं होता. आसान भाषा में समझें तो यह एक ट्रैक पर ही चलती है. इसमें आमतौर पर 4 डिब्बे यानी कोच होते हैं. यह ट्रेन एक घंटे में 10 हजारयात्रियों को एक से दूसरी जगह पहुंचा सकती है. एशिया के 20 शहरों में मोनो मेट्रो चल रही है.

bistro 57

Scan and join

darsh news whats app qr
Join Us On WhatsApp