बिहार में 2 अक्टूबर को जातीय गणना के आंकड़े जारी कर दिए गए. जिसके बाद से लगातार सियासत जारी है. पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का पारा हाई हो गया है. इसके साथ ही उन्होंने जातीय गणना के खिलाफ बयान देने वालों को करारा जवाब भी दे दिया है. दरअसल, लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि, 'कैंसर का इलाज सिरदर्द की दवा खाने से नहीं होगा'. जिसके बाद से लालू यादव के इस बयान के कई मायने भी निकाले जा रहे हैं.
'ऐसे लोगों में रत्ती भर भी न्यायिक चरित्र नहीं'
लालू प्रसाद यादव ने लिखा कि, 'जातिगत जनगणना के विरुद्ध जो भी लोग हैं वो इंसानियत, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक बराबरी तथा समानुपातिक प्रतिनिधित्व के खिलाफ है. ऐसे लोगों में रत्ती भर भी न्यायिक चरित्र नहीं होता है. किसी भी प्रकार की असमानता एवं गैरबराबरी के ऐसे समर्थक अन्यायी प्रवृत्ति के होते हैं जो जन्म से लेकर मृत्यु तक केवल और केवल जन्मजात जातीय श्रेष्ठता के आधार एवं दंभ पर दूसरों का हक खाकर अपनी कथित श्रेष्ठता को बरकरार रखना चाहते हैं. कैंसर का इलाज सिरदर्द की दवा खाने से नहीं होगा.'
JDU सांसद तक उठा चुके हैं सवाल
बता दें कि, जातीय गणना को लेकर बिहार में लगातार यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि जारी किए गए आंकड़े सही नहीं हैं. कई नेताओं ने यहां तक कह दिया कि उनके घर कोई टीम ही नहीं गई थी. ऐसे में कोई पड़ोसी या गांव का लोग कैसे सही जानकारी दे सकता है. इस तरह के उठाए जा रहे सवालों के बीच जवाब देते हुए लालू प्रसाद यादव ने यह ट्वीट किया है. यह भी बता दें कि, विरोधी ही नहीं बल्कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के सांसद सुनील कुमार पिंटू भी जातीय गणना की रिपोर्ट पर सवाल उठा चुके हैं. तेली साहू समाज की पटना में बैठक कर चुके हैं. उनका कहना है कि जातीय सर्वे की रिपोर्ट में त्रुटि को लेकर लगातार तेली साहू समाज के द्वारा कई शिकायतें आ रही ही हैं. उनका कहना है कि उनकी गिनती नहीं हुई है.