देश के पांच राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं. इस बीच बात कर लें तेलंगाना की तो यहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और विधायक रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बने. गुरुवार को ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ली. लेकिन, इससे पहले ही उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया जिसके कारण वह विवादों के बीच घिर गए हैं. दरअसल, खबर है कि एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने डीएनए को लेकर ऐसी टिप्पणी की, जिसकी चर्चा जोरों पर है. रेवंत रेड्डी ने कहा था कि, उनका डीएनए तेलंगाना वाला है जबकि केसीआर (पूर्व मुख्यमंत्री) का डीएनए बिहार का है.
खुद के DNA को बताया बेहतर
रेवंत रेड्डी इतने पर ही नहीं रुके बल्कि उन्होंने आगे यह भी कह दिया कि, उनका डीएनए केसीआर के डीएनए से बेहतर है. आपको बता दें कि, केसीआर मूल रूप से बिहार के कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं और उनके परिवार ने तेलंगाना पलायन किया था. जिसके बाद अब रेवंत रेड्डी के बयान की चर्चा जोरों पर है. इधर, बीजेपी ने रेवंत रेड्डी के बयान की कड़ी निंदा की है. दरअसल, बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने कहा है कि, यह उत्तर भारतीयों का अपमान है. कांग्रेस की सोच देश को बांटने वाली है. भारत और भारतीयों को नीचा दिखाने में कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने भी दिया था विवादित बयान
बता दें कि, यह पहली बार नहीं है जब इस तरह से किसी क्षेत्र, धर्म या जाति को लेकर विवाद हुए हैं बल्कि इससे पहले डीएमके नेता और तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने 'सनातन धर्म को मिटाने' के मुद्दे को लेकर हो रहे एक सम्मेलन में कहा था कि, 'सनातन धर्म मलेरिया, डेंगू की तरह है जिसे मिटाना जरूरी है.' वहीं, इस मुद्दे को लेकर जानकारों की माने तो, यह विषय राजनीतिक दलों का गढ़ा हुआ है और इसे वे ध्रुवीकरण के लिए इस्तेमाल करते हैं. भले ही उत्तर और दक्षिण भारतीय राज्यों में सांस्कृतिक, भाषाई और परंपराओं के आधार पर अंतर है, लेकिन यह अंतर राजनीतिक विभाजन के रूप में ज्यादा उभरकर आता है.