जनसुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर अपने पदयात्रा के क्रम में सहरसा पहुंचे और इसकी शुरुआत सोनबरसा राज प्रखंड से किये. आज इनके पदयात्रा का चौथा दिन है जो बनमा इटहरी प्रखंड में चला. इस पदयात्रा के दौरान बड़ी संख्यां में लोगों का समर्थन मिल रहा. मौके पर उन्होंने लोगों को विभिन्न तरह से अपने अधिकारों के प्रति आत्मज्ञान भी देने की कोशिश की. इस दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि, खेती-किसानी यहां सभी लोग करते हैं. अभी दो महीने पहले ही धान कटा है. धान की कीमत है 2150 रुपए प्रति क्विंटल. लेकिन, आपने उसे 1600, 1700, 1800 रुपए में बेचा. हर किसान को मालूम है कि अगर वे 2150 रुपए में बेचते तो उन्हें अच्छी आमदनी होती. लेकिन, आपको इसकी कोई फिक्र ही नहीं है. धान, गेहूं, मकई के दाम पर आपने वोट ही नहीं दिया.
इस दौरान उन्होंने पंजाब का भी जिक्र किया और कहा कि, पंजाब में जो किसान हैं उन्होंने 2150 रुपए में धान बेचा है और मोदी जी को दिल्ली में घेरा है कि हमको और पैसा चाहिए. बिहार के किसानों ने 1600 रुपए में धान बेचा है और दाल, भात, चोखा खाकर सहरसा में सोए हुए हैं. उनको कोई चिंता ही नहीं है. आप पढ़ाई के लिए वोट ही नहीं दीजिएगा, अपने रोजगार और आमदनी के लिए वोट ही नहीं दीजिएगा तो आपकी दशा सुधरेगी कैसे ? कोई कहेगा कि इस बात की क्या गारंटी है कि रोजगार के लिए वोट देने पर रोजगार मिलेगा ? मैं आप लोगों को लिख कर दे रहा हूं, वोट चाहे जिसे देना है दे दीजिए, वोट दीजिए लालू जी को या मोदी जी को लेकिन रोजगार मिलेगा.
प्रशांत किशोर ने कहा कि, बिहार में लोगों ने जीवन में कभी अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए वोट ही नहीं दिया. ये आपकी बर्बादी का पहला कारण है. कुछ आदमी हैं जो कहेंगे कि पढ़ाई के लिए कोई वोट मांगने आया ही नहीं ? वहीं इस बात की क्या गारंटी है कि पढ़ाई करने से लोगों को रोजगार मिलेगा ? इतनी बात तो हर किसी को पता है कि अगर यहां फैक्ट्री लग जाए तो लोगों को यही पर रोजगार मिलेगा. लेकिन, किसी ने आजतक फैक्ट्री रोजगार के लिए वोट ही नहीं दिया. अगर, आप अपने बच्चों की पढ़ाई और रोगजार के लिए वोट नहीं देंगे तो वो कैसे मिलेगा ? इसलिए अपने बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के लिए वोट दें.