जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर पिछले ढाई वर्षों से बिहार में पैदल पदयात्रा कर रहे हैं, लोगों को जागरूक कर रहे हैं और साथ ही ये बताते रहे हैं कि जन सुराज दल बिहार को बदलने के लिए किस तरह के लोगों की तलाश कर रहा है। प्रशांत किशोर ने हर बार अपनी बात स्पष्ट रूप से रखी है कि राजनीति में अक्सर मजबूत व्यक्ति को सही मानकर आगे बढ़ाया जाता है, लेकिन जन सुराज की सोच है कि सही व्यक्ति भले ही कमजोर हो, उसे साधना और व्यवस्था के माध्यम से मजबूत बनाया जा सकता है। दूसरी ओर, अगर केवल मजबूत व्यक्ति को सही मानकर उसे जीत दिला दी जाए, तो यह जरूरी नहीं कि वह सही हो।प्रशांत किशोर ने आगे कहा, पहली बात यह है कि व्यक्ति सही होना चाहिए। दूसरी बात, उसकी सोच सही होनी चाहिए—सोच यह हो कि बिहार को अगले 10 वर्षों में कैसे विकसित बनाना है, बिहार के लोगों की बेहतरी कैसे करनी है, न कि किसी जाति या परिवार की बात हो। तीसरी बात यह है कि पूरी व्यवस्था किसी एक व्यक्ति पर आधारित नहीं होनी चाहिए, बल्कि सामूहिकता से काम होना चाहिए। कोई अकेला प्रशांत किशोर इस समस्या को हल नहीं कर सकता। अगर ऐसा होता, तो मैं कहता कि हम दल बना रहे हैं, हम सही व्यक्ति हैं, हमारी सोच सही है, और हम इसे सुधार देंगे। लेकिन मैं कह रहा हूं कि एक या दस प्रशांत किशोर के आने से समाज नहीं सुधरेगा। जब तक समाज के हजारों लोग एक साथ आकर सामूहिक रूप से काम करने का संकल्प नहीं लेंगे, तब तक बिहार में बदलाव संभव नहीं है।प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि जहां अन्य लोग कुछ ही समय में राजनीतिक दल बना लेते हैं, वहीं वे इस प्रक्रिया में 2-3 साल का समय ले रहे हैं। उन्होंने कहा, मैं इस बात पर जोर दे रहा हूं कि जब यह दल बने, तो यह किसी जाति विशेष, व्यक्ति विशेष या परिवार का न होकर उन सभी लोगों का हो, जो बिहार की व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं। यह दल एक नया विकल्प और नए प्रयास का प्रतीक बनेगा, जिसमें बिहार के सभी लोग भागीदार होंगे।