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मनमाने तरीके से बालू उठाव का विरोध, JCB के सामने पहुंचे ग्रामीण..

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JAMUI- नदी में मनमाने तरीके से बालू उठाव को लेकर लोगों में आक्रोश है. जमुई के  खैरा प्रखंड के बेला पंचायत अंतर्गत क्यूल नदी के सगदाहा घाट पर मनमानी तरीके से हो रहे बालू उत्खनन को लेकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया,साथ ही ग्रामीणों ने इस उत्खनन को रोकने के लिए जिला प्रशासन से मांग की है। 

ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार द्वारा इस घाट का टेंडर हुआ है तो सरकार के मापदंडों के अनुसार इस घाट पर बालू का उठाव होना चाहिए परंतु संवेदकों द्वारा निजी जमीन व मंदिर के आसपास की क्षेत्र में भी उत्खनन का कार्य किया जा रहा है। इसी घाट के बगल में श्मशान घाट को भी तहस-नहस कर दिया गया है। 

नदी घाट पर उपस्थित ग्रामीण पिंकू सिंह ने बताया कि बालू ठेकेदार के द्वारा अवैध रूप से उत्खनन किया जा रहा है जिससे सगदाहा गांव का भविष्य खतरे में दिख रहा है लगभग एक महीने बाद जब वर्षा शुरू होगी तब गहरे गड्ढे में पानी भरेगा जिससे की ग्रामीणों के लिए संकट उत्पन्न होगा ।नदी किनारे अवस्थित यह गांव पूर्व में भी प्राकृतिक आपदाओं से घिर चुकी है 1976 और सन 2000 में हुए भीषण बारिश के बाद बाढ़ की पानी लोगो के घरों में घुस गया था। इस गांव में काफी क्षति हुई थी और लगभग पूरा गांव जल मग्न हो गया था भविष्य में ऐसी घटना ना हो इसी आशय में ग्रामीण विरोध कर रहे हैं परंतु जिला प्रशासन उनकी एक नही सुन रही है। 

ग्रामीण विनय कुमार सिंह कहते है कि क्यूल नदी तट पर बसे सगदाहा गांव अपना धार्मिक महत्व भी रखती है नदी किनारे कई मंदिर है और यहां धार्मिक कार्य बराबर होते रहते हैं अगर इसी तरह बालू का उठाव होते रहेगा तो यहां धार्मिक अनुष्ठान भी कर पाना संभव नही है। अन्य उपस्थित ग्रामीणों का कहना का है कि बालू उठाव का मानक अनुरूप है कि 3 फीट बालू का उठाव हो और उठाव के उपरांत उसे मिट्टी या बालू से उस गड्ढे को भर दे लेकिन बालू का खनन लगातार जारी है और बालू ठेकेदार गड्ढे को नही भर रहे है जिससे जान-माल की क्षति होने की पूरी संभावना है और इसे बहुत बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। यहां यह जानकारी दें कि क्यूल नदी के कई घाटों पर  इसी तरह नियम के विरुद्ध बालू का उठाव किया जा रहा है।

 जमुई से धनंजय की रिपोर्ट

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