राहुल गांधी से जुड़े आपराधिक मानहानि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. राहुल गांधी मामले में जस्टिस गवई की अगुआई वाली पीठ ने गुजरात सरकार, पूर्णेश मोदी और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया है. बता दें कि दस दिनों में जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी. राहुल गांधी ने दलील दी कि वायनाड में कभी भी चुनाव का ऐलान किया जा सकता है इसलिए फैसले पर अंतरिम स्टे दिया जाए.
शुक्रवार (21 जुलाई) को जब कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो पीठ के अध्यक्ष जस्टिस बी आर गवई ने केस को लेकर अपनी व्यक्तिगत समस्या बताते हुए दोनों पक्षों से सुनवाई के लिए सलाह मांगी. जस्टिस गवई ने कहा, मेरे पिता कांग्रेस के करीबी थे. भाई अभी भी कांग्रेस सदस्य हैं. आप लोग तय करें कि मैं सुनवाई करूं या नहीं.
दोनों पक्षों ने सुनवाई पर जताई सहमति
जस्टिस गवई के ऐसा कहने पर पूर्णेश मोदी की तरफ से पेश हुए वकील महेश जेठमलानी ने कहा, हमें कोई आपत्ति नहीं है. इसके बाद राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा, हम भी इनके बयान से सहमत हैं. दोनों पक्षों के सहमत होने के बाद जस्टिस गवई ने सुनवाई शुरू की और कहा कि हम याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी और गुजरात सरकार को औपचारिक नोटिस जारी कर रहे हैं. सुनवाई के दौरान पूर्णेश मोदी के वकील ने जवाब दाखिल करने की अनुमति मांगी जिसे पीठ ने मंजूर कर लिया. जेठमलानी ने कोर्ट को बताया कि 10 दिनों में जवाब दाखिल कर देंगे. जस्टिस गवई ने 4 अगस्त को सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की है.
क्या है मामला?
राहुल गांधी ने साल 2019 में कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि "सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है?" राहुल गांधी की इस टिप्पणी के खिलाफ बीजेपी नेता और गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. 23 मार्च, 2023 को सूरत की एक कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. सजा के खिलाफ राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था लेकिन वहां से उन्हें राहत नहीं मिली और 7 जुलाई को हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, जिसके खिलाफ राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है.