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राजभवन ने केके पाठक को दिया झटका, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से जुड़ा है मामला

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बिहार में शिक्षा विभाग मानो अब बस विवादों का विभाग बन कर रह गया हो. पिछले दिनों शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के द्वारा जारी किये गए फरमानों के कारण के कारण विवादों में रहा. इसके बाद शिक्षा मंत्री और केके पाठक के बीच तनातनी देखने के लिए मिली. इन सभी गतिविधियों के बीच शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया. लेकिन, अब मामला काफी ज्यादा आगे बढ़ गया है. जिसके बाद शिक्षा विभाग और राजभवन आमने-सामने आ गए हैं. वहीं, अब कयास लगाये जा रहे हैं कि बिहार सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. 

दरअसल, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने केके पाठक के आदेश को खारिज कर दिया है. जिसके बाद यह मामला विवादों में है. केके पाठक के द्वारा बीआरए बिहार विश्विद्यालय के वीसी और प्रो वीसी के वित्तीय अधिकार पर रोक लगाई थी. बीआरए बिहार विश्विद्यालय मुजफ्फरपुर के बचत खाता और अन्य सभी खातों के ट्रांजैक्शन पर रोक लगा दिया था. जिसे राजभवन के द्वारा कुलाधिपति के अधिकारों का हनन दे दिया गया. इस पूरे मामले में राज्यपाल के प्रधान सचिव ने शिक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिखकर विरोध जताया है. जिसके बाद केके पाठक को बड़ा झटका मिला है. 

राजभवन ने पत्र जारी कर कहा कि, राज्य सरकार बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 54 के तहत, विश्वविद्यालयों का ऑडिट करने का अधिकार है लेकिन शक्तियां और बैंक खाते को लेकर मनमानी अधिकार क्षेत्र से परे है. ऐसा लगता है कि यह विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला है. कुलाधिपति की शक्तियों का हनन किया गया है. शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय संबंधित आदेश को वापस लें और भविष्य में इस प्रकार के अनुचित कृत्यों से बचे. जारी किये गए पत्र के साथ मुजफ्फरपुर के तीन बैंक एसबीआई, पीएनबी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को इसकी कॉपी भी भेजी गई है.

पत्र के द्वारा साफ तौर पर केके पाठक के आदेश को खारिज कर दिया गया. वहीं, यह मामला लगातार सुर्खियों में है. बता दें कि, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक कड़क आईएएस के रूप में जाने जाते हैं. जब से उन्होंने शिक्षा विभाग की कमान संभाली है तब से लगातार वे सुर्खियों में हैं और एक के बाद एक फरमान जारी करने के साथ कड़क एक्शन भी ले रहे हैं. इसी क्रम में पिछले दिनों उन्होंने सभी विश्वविद्याल को अपने अधीन कॉलेजों का इंस्पेक्शन करने के साथ विश्वविद्यालय का शैक्षणिक सत्र नियमित करने, परीक्षा और रिजल्ट को लेकर रोस्टर के अनुपालन की रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंपने का आदेश जारी किया था. ऐसा नहीं होने पर केके पाठक ने यह कड़ा एक्शन लिया था. 

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