कहते हैं ईश्वर के प्रति जिस इंसान के अंदर आस्था, विश्वास और श्रद्धा होती है उसे ईश्वर अनोखी शक्ति प्रदान करते है. इसी तरह की आस्था, विश्वास और श्रद्धा की तस्वीर मुजफ्फरपुर से आई है. जहां एक दिव्यांग एक पैर पर चल के पहलेजा से बाबा गरीबनाथ के मंदिर पहुंची है. बच्ची ने आम कांवड़ियों की तरह मात्र 2 दिन में जलबोझी कर एक पैर पर चल के 92 किलोमीटर की यात्रा पूरी की है.. बच्ची का नाम राजनंदनी है जो लालपोखर दिग्गी, हाजीपुर की रहने वाली है.
राजनंदनी के पिता सुभाष कुमार ने बताया की बेटी हमेशा कांवड़ियों को देखकर सवाल करती थी की क्या मैं कभी बोलबम नही जा सकती. बच्ची जन्म से ही दिव्यांग है ईश्वर ने उसे एक ही पैर दिया है. बेटी की बात सुनकर पिता का मन अंदर से कचोट जाता था. सुभाष पिछले 25 साल से डाक कांवड़ लेकर पहलेजा से बाबा गरीबनाथ मंदिर तक आते थे. बेटी के मनोबल को बनाएं रखने के लिए और उसे आम लड़कियों की तरह जीवन जीना सिखाने के लिए सुभाष ने कहा क्यों नहीं तुम भी जा सकती हो जैसे सारी लड़कियां जाती है.
फिर क्या था सुभाष अपने साथ राजनंदनी को लेकर पहलेजा से बाबा गरीबनाथ मंदिर पहुंच गए. राजनंदनी बाबा गरीबनाथ मंदिर में सोमवार के भोर में पहुंची और बाबा का जलाभिषेक किया. जैसे ही राजनंदनी मुजफ्फरपुर मंदिर के पास पहुंची सबकी निगाहें उसी पर टिक गई.
आपको बता दें कि दिव्यांग राजनंदिनी भाई की सलामती के लिए दुआ मांगने के लिए 100 km दूर से जलबोझी करके एक पैर से ही बाबा नगरी पहुंची और फिर किया बाबा गरीब नाथ का जलाभिषेक और आशीर्वाद लिया. दिव्यांग राज नंदिनी का एक पैर है किंतु जज्बा कम नहीं. राज नंदिनी ने बताया कि वो अपने भाई के लिए मन्नत मांगी थी कि मेरा भाई ठीक हो जाएगा तो यहां पर बाबा का जलाभिषेक करूंगी.
राज नंदिनी के इस अदभुत हौसले को देखकर पूरे कांवरिया पथ और बाबा मंदिर के पास लोग देखकर दंग रह गए. अपने पिता के साथ बाबा का जलाभिषेक करने के बाद बेहद उत्साहित और खुश राजनंदनी ने कहा कि उसका सपना आईपीएस बनकर देश की सेवा करना है. एक पांव होने के बाद भी उसके हौसले में कोई कमी नहीं है. महज 10 वर्ष की राजनंदिनी के हौसलों को देख हर कोई आश्चर्य कर रहा है.
बता दें राजनंदिनी के भाई का हृदय का ऑपरेशन हुआ था और सुरक्षित ऑपरेशन को लेकर उसने बाबा गरीब नाथ से मन्नत मांगी थी कि भाई ठीक हो जाएगा तो पहलेजा घाट से गंगा जल लेकर कर जाऊंगी और बाबा गरीबनाथ पर जलाभिषेक करूंगी. अब जब भाई ठीक हो गया है तो राज नंदिनी एक पाव पर बाबा गरीब नाथ धाम पहुंची और जलाभिषेक करके मन्नत मांगी साथ ही भाई के लिए कई खिलौने भी लिए.
राजनंदनी के पिता सुभाष कुमार ने बताया कि मैं खुद अपनी बेटी से प्रेरणा लेता हूं और उसके जज्बे को देखकर आश्चर्यचकित हो जाता हूं. मेरे अंदर भी इतनी ऊर्जा उत्साह और समर्पण का भाव नहीं है जितनी मेरी बेटी के अंदर है. एक पैर होने के वजह से परिवार में लोगों ने राज नंदिनी को कांवर यात्रा पर आने से मना जरूर किया था किंतु मैंने ठान लिया कि मेरी बेटी बाबा गरीबनाथ धाम जाएगी और अपने भाई के लिए मांगे गए मन्नत को जरूर पूरा करेगी. बस यही जिद और हौसला हमे यहां पर लेकर आ गई. जब दूसरी बेटी पर्वत पर चढ़ सकती है तो मेरी राज नंदिनी क्यों नहीं.
बताते चलें कि जिलाधिकारी, एसएसपी, डीडीसी, सिटी एसपी सब ने खड़े होकर राज नंदिनी के साथ फोटो खिंचवाया और बच्ची को प्रोत्साहित किया. राजनंदनी ने एक पुराने शेर को चरितार्थ कर दिया है. मंजिले उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होती है.. दर्श न्यूज के लिए मुजफ्फरपुर से मुकेश ठाकुर की रिपोर्ट