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कोई साधारण नहीं बल्कि सोने-चांदी वाले छेनी-हथौड़ी से बनी रामलला की दिव्य आंखें, योगीराज ने शेयर की तस्वीर

Ramlala's divine eyes are not ordinary but made of gold and

22 जनवरी 2024 का दिन पूरे देश की जनता के लिए एक ऐतिहासिक दिन था. अयोध्या के राम मंदिर में भगवान श्रीराम की भव्य तरीके से प्राण-प्रतिष्ठा की गई. इस दिन पूरे देश में दिवाली मनाई गई. लोगों के बीच प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर गजब का उत्साह देखने के लिए मिला. देश के आम लोगों के साथ-साथ कई दिग्गज इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने. अभी भी राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए कई श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. इस बीच अयोध्या में राम मंदिर के लिए 5 साल के रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगिराज एक बार फिर चर्चा में है. 


अरुण योगिराज ने शेयर की तस्वीर

दरअसल, अरुण योगिराज ने शनिवार यानि कि 10 फरवरी को सोशल मीडिया पर चांदी के एक हथौड़ा और सोने की छेनी की एक तस्वीर पोस्ट की, जो खूब सुर्खियों में बना हुआ है. जानकारी के मुताबिक, ये वही छेनी और हथौड़ी है, जिससे वह रामलला की प्रतिमा के लिए "दिव्य आंखों'' की नक्काशी करते थे. इन तस्वीरों को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर शेयर करते हुए योगिराज ने लिखा कि, "इस चांदी के हथौड़े और गोल्डन छेनी का इस्तेमाल कर मैंने रामलला की दिव्य आंखों को उकेरा है." योगिराज की ओर से बनाई गई रामलला की मूर्ति मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान है.


2008 से इस काम से जुड़े हैं योगिराज

बात कर लें, अरुण योगिराज की तो योगिराज लंबे समय से यह काम कर रहे हैं. इन्होंने अपना एमबीए पूरा करने के बाद कुछ दिन तक एक कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी की. हालांकि, बाद में उन्होंने अपने पेशे को बदलने का फैसला किया और अपने पूर्वजों के नक्शे कदम पर चलते हुए मूर्तिकार बन गए. वह 2008 से इस काम को कर रहे हैं. अरुण योगिराज ने रामलला की जो प्रतिमाण बनाई है. उस प्रतिमा की आंखों से पर्दा प्राण प्रतिष्ठा के दौरान ही हटाया गया था. तभी दुनिया ने पहली बार रामलला की आंखें देखी थीं. इस मूर्ति के लिए योगिराज की हर तरफ जमकर वाहवाही हो रही है.


खास पत्थर से बनाई गई आंखें

वहीं, बात कर लें रामलला के मूर्ति की तो, योगिराज ने रामलला की प्रतिमा जिस पत्थर से बनाई है वह काले रंग की है और एक ही पत्थर की है. इसमें कहीं से कोई भी पत्थर या हिस्सा नहीं जोड़ा गया है. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और उडुपी के संत विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामी के मुताबिक, अरुण योगीराज ने रामलला की प्रतिमा को कर्नाटक के काले पत्थर से तैयार किया है. इसे करकला के नेल्लिकारू गांव से अयोध्या ले जाया गया था. इस पत्थर को पवित्र माना जाता है, इसलिए दक्षिण भारत में इसी से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती हैं.


राम मंदिर का निर्माण सपने साकार होने जैसा 

बता दें कि, राम मंदिर का निर्माण एक सपने के साकार होने जैसा है और इसी के साथ ही न सिर्फ अयोध्या बल्कि उत्तर प्रदेश भी आस्था के सबसे बड़ा प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है. राम मंदिर का निर्माण सिर्फ एक इमारत का निर्माण नहीं बल्कि एकता, विकास और भक्ति की मिसाल है और मंदिर बनने से उत्तर प्रदेश आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है. उत्तर प्रदेश के हर शहर की अपनी अलग आस्था है. वाराणसी का शाश्वत आकर्षण, प्रयागराज का दिव्य संगम, नैमिषारण्य का प्राचीन ज्ञान, गोरखपुर का रहस्यमयी आकर्षण और मथुरा-वृंदावन में कृष्ण भक्ति, सामूहिक रूप से उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक तस्वीर को समृद्ध करते हैं. धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में राज्य के लिए मुख्यमंत्री का विजन महत्वाकांक्षी है, जिसका लक्ष्य इसकी विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करना है. 

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