बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐक्टू)के आह्वान पर राज्य की हज़ारों रसोइयों ने विधान सभा के समक्ष प्रदर्शन किया। रसोइयों को दिया जा रहा 1650 रु मासिक मानदेय के बदले 10 हजार मानदेय करने, वर्ष में 10 के बजाए 12 माह मानदेय देने, एमडीएम से एनजीओ को बाहर करने सहित 13 सूत्री मांग पर प्रदर्शन किया। इस दौरान रसोइया संघ नेमोदी -नीतीश शर्म करो, रसोइयों को 50 रूपए पर खटाना बंद करो, रसोइयों का मानदेय तत्काल 10 हजार रुपए करो, एनजीओ को एमडीएम योजना से बाहर करो, मंहगाई व अपराध पर रोक लगाओ, मजदूरों को गुलाम बनाने वाले चार श्रम संहिता कानून वापस लो,13 सूत्री मांगे पूरा करो का नारा लगाया। प्रदर्शन का नेतृत्व रसोइया संघ की प्रदेश महासचिव सरोज चौबे, अध्यक्ष विभा भारती, ऐपवा राष्ट्रीय महासचिव मीणा तिवारी, ऐक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार आदि नेताओ ने किया।के नेतृत्वनेताओं ने भाजपा नेतृत्व वाले नीतीश सरकार पर रसोइयों के मानदेय व अधिकार में लूट मचाने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार वर्षों से औसतन प्रतिदिन 50 रु मानदेय पर रसोइयों को खटा रही है और मानदेय वृद्धि के नाम पर चुप्पी साध लेती है वहीं सरकार अब रसोइयों से काम छीनकर इनके हक का राशि और अधिकार एनजीओ को सौंपने का निर्णय किया है यानी 1 जुलाई 24 से सरकार ने विद्यालयों में खाना आपूर्ति का जिम्मा एनजीओ को सौंपने का निर्णय किया है जिससे राज्य के 2.40 लाख रसोइयों की सेवा असुरक्षित हो गयी है .नेताओं ने इसे नीतीश सरकार द्वारा रसोइयों के अधिकारों व मानदेय राशि मे कानूनी लूट बताया।रसोइया संघ महासचिव सरोज चौबे ने नीतीश सरकार से रसोइयों को गुलामो की तरह खटाना बन्द कर न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948 से जोड़ने की मांग करते हुए सरकार से रसोइयों के मानदेय में सम्मानजनक राशि वृद्धि करते हुए 1650 रु को बढ़ाकर मासिक 10 हजार रु करने, रसोइयों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 से अच्छादित करने,एमडीएम से एनजीओ को बाहर करने के अलावे अन्य 13 सूत्री मांगों खासकर 3000 मासिक पेंशन व रिटायरमेंट पैकेज देने,ड्रेस देने की मांग उठाया।