पटना: पूरे देश में गुरुवार को विजयादशमी का पर्व मनाया गया और जगह जगह पर भगवान श्री राम ने रावण का वध भी किया। कहा जाता है कि विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं और रीति रिवाज का असर अब बिहार के चुनावी माहौल पर भी दिखने लगा है। बिहार के चुनावी माहौल में अब रावण की एंट्री हो गई है जिसके बाद सियासत और बयानबाजी का सिलसिला शुरू हो गया है।
दरअसल जदयू ने सोशल मीडिया पर एक AI वीडियो पोस्ट किया है जिसमें राजद सुप्रीमो लालू यादव को दस सिर वाले रावण के रूप में दिखाया गया है। जदयू ने दसों सर पर अपराध, भ्रष्टाचार, छिनतई, रंगदारी, जातीय हिंसा, हत्या, अपहरण और बलात्कार जैसे आरोपों को लिखा है। जदयू के द्वारा वीडियो पोस्ट किए जाने के बाद बिहार में सियासत काफी तेज हो गई है।
पोस्ट के साथ ही जदयू ने दावा किया है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बिहार की जनता रूपी राम इस रावण का वध करने वाली है। जनता दल यूनाइटेड के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने साफ तौर पर कहा कि आज रावण कहां से आएगा? इसलिए हमने लालू प्रसाद यादव को ही इस प्रतीक के रूप में दिखाया है। उनका शासनकाल गुंडा, अपराध और लंपट राजनीति का प्रतीक था। 2005 से जनता लगातार लालू यादव की लंपट राजनीति का दहन करती आ रही है।
जदयू के इस वीडियो पर भले ही राजद की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई हो, लेकिन कांग्रेस ने इसे लेकर जमकर आपत्ति जताई है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि जिस सरकार में हत्या के आरोपी उपमुख्यमंत्री हों, नकली दवाइयों से लोगों की जान लेने वाला मंत्री हो, वो राक्षसी सरकार ही हो सकती है। बिहार की जनता वोट रूपी तीर से इस रावण का संहार करेगी।
इधर, बीजेपी भी जेडीयू के सुर में सुर मिलाते हुए लालू यादव पर हमलावर हो गई है। बीजेपी कोटे से सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि जनता से पूछ लीजिए 2005 के पहले लालू प्रसाद यादव जी हीं रावण थे और उस समय का उनका शासन काल रावण का शासन काल कहलाता था। तब चरवाहा विद्यालय खुलते थे, और आज हर जिले में मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज खुल रहे हैं। यही असली फर्क है।
विजयादशमी के मौके पर जारी जेडीयू के इस वीडियो से साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पक्ष और विपक्ष के बीच राम रावण की लड़ाई शुरू हो चुकी है। जहां जेडीयू और बीजेपी लालू यादव को बुराई का प्रतीक बताने में जुटी है, वहीं कांग्रेस इसे जनता का अपमान बता रही है। यानी इस बार के चुनाव में रावण का दहन मंचों पर नहीं बल्कि सोशल मीडिया की दुनिया में भी हो रहा है।